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बहारें जिंदगी में हों, सफर मुश्किल नहीं होता…

प्रख्यात कवयित्री रचना उनियाल साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से रविवार को गौजाजाली में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में हल्द्वानी के बाल, युवा और वरिष्ठ कवियों ने विभिन्न विषयों पर कविताएं सुनाकर खूब समां बांधा। इस दौरान बंगलूरू कर्नाटक से आईं देश की प्रख्यात कवयित्री […]

मैं अब उड़ना चाहती हूँ

-प्राक्षी ओझा मैं अब उड़ना चाहती हूँ | अपने अरमानों को एक नया रूप देना चाहती हूँ, सिर्फ एक अच्छी ज़िंदगी जीना चाहती हूँ, मैं अब उड़ना चाहती हूँ | क्या लड़की होना कोई गुनाह है? या लड़की एक खिलौना है? लड़की पर लगी बेड़ियों को , मैं अब तोड़ना चाहती हूँ | मैं अब […]

अनुकृति, योगिता, रिद्धि, काम्या, निहारिका, महिमा, आराध्या ने मन मोहा

आनंदा एकेडमी में बाल कवि सम्मेलन का आयोजन हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में आनंदा एकेडमी स्कूल में बाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कक्षा 5 से कक्षा 8 तक के बच्चों ने विभिन्न विषयों पर स्वरचित कविताएं सुनाईं। बच्चों ने दोस्ती, मेरी मां, इक्जाम की टेंशन, […]

पास आकर भी बातें अब होती कहां

-कमल सिंह, हल्द्वानी अल्फाजों में बातें तुम करती कहां, इशारों की भाषा मुझको आती कहां। निहार लेता हूं तुमको अब यूं ही दूर से पास आकर भी बातें अब होती कहां। सपनों में तो खरीद लाया था सेहरा भी मैं, मगर सपने मुक्ममल हो जाएं ऐसा होता कहां। उसके पापा को तो चाहिए था सरकारी […]

गौरैया

-डॉ. आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल ओ गौरैया! सोन चिरैया, क्यों अब तुम ना दिखती हो? मेरे घर की रौनक थी तुम, क्यों देहरी पार ना करती हो? शुभ संकेत, जो साथ तुम्हारे, आने से रह जाते हैं। मुनिया गौरैया कब आयेगी? सूने घर दीवार भी पूछते हैं! कीट नाशक और टावर आतंक, हमारी राह […]

चलते-चलते

-हर्षित काल्पनिक चलते-चलते मीत बने चलते-चलते गीत बने अल्फ़ाज थे चंद एक दिन चले और संगीत बने।। चलते-चलते… हार अनेकों मिली डगर में डंटे रहे हर एक सफर में देखा,सीखा और चले फिर चलते-चलते जीत बने।। चलते-चलते… अनजानी राहों पर हमको मिले लोग दीवाने कितने दिल ने चुना एक हमसफ़र चलते-चलते प्रीत बने।। चलते-चलते… अपमान […]

काली-स्याही

-मन्जू सिजवली महरा, हल्द्वानी जिसकी फटी हुई तस्वीर भी जलने में हिचक्ते थे ये हाथ। उसको अपने ही हाथों से सारा जला दिया। जिस कागज पर उसका नाम लिख जाता, उसी से मुहब्बत हो जाती थी। आज उसकी राख को भी पानी में बहा दिया। रत्ती भर नाराजगी देख हर बात मान जाता था। आज […]

हिन्दी भारत मां के माथे की बिंदी

-किरन पंत’वर्तिका’, हल्द्वानी उत्तराखंड निश्चय ही वन्दनीय है हिन्दी प्राणों में बसी हर श्वास है हिन्दी हिंदी भारत मां के माथे की बिंदी बड़ी सरल, सौम्य, सुंदर है हिन्दी। रमैनी,सबद, साखी, रहीम रत्नावली है हिन्दी महादेवी की यामा दिनकर की कुरुक्षेत्र है हिन्दी हिंदी भारत मां के माथे की बिंदी हर कवि लेखक की पुकार […]

एक हरेला मन में उगा लूँ

-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी मन में उथल पुथल बहुत है हर कोने में छाई उदासी है बाहर-अंदर एक-सी हलचल है कहने को तन्हाई है। एक हरेला मन में उगा लूँ उजास भीतर ही पा लूँ हुए जिससे दूर बहुत दूर उस प्रकृति को ह्रदय में बसा लूँ।।

मेरी प्यारी माँ

-बिपाषा पौडियाल,हल्द्वानी सबसे अलग व सबसे प्यारी मेरी माँ है भोली-भाली मुझे पढाती मुझे लिखाती सबके साथ घुल मिलकर रहना सिखलाती मुझे देखकर वह मुस्काती मुझे दुखी वह देख न पाती अच्छा- अच्छा खाना बनाती सबको खिलाकर खुद बाद मे खाती है मेरी माँ मेरी माँ की तो बात है निराली सबसे अलग व सबसे […]