Category: कविता

मैं अब उड़ना चाहती हूँ

-प्राक्षी ओझा मैं अब उड़ना चाहती हूँ | अपने अरमानों को एक नया रूप देना चाहती हूँ, सिर्फ एक अच्छी ज़िंदगी जीना चाहती हूँ, मैं अब उड़ना चाहती हूँ | क्या लड़की होना कोई गुनाह है? या लड़की एक खिलौना है? लड़की पर लगी बेड़ियों को , मैं अब तोड़ना चाहती हूँ | मैं अब […]

तो शराब की जगाई कैसे अलख

-माया नवीन जोशी खटीमा, जिला-उधमसिंह नगर, उत्तराखंड सुंदर-सुकुमार सा वह, लिए कंधों में छोटा झोला। इतराते इठलाते बालक से एक रोज पिता यह बोला कि राशि, एक शिक्षा-शराब की तो फल दोनों का कैसे अलग-अलग ? शिक्षा ले जाती जब शीर्ष पर तो शराब की जगाई कैसे अलख? बोला सहसा ही वह सुकुमार पहले पढ़ने […]

दबे जज्बात

-पूजा नेगी (पाखी) अकेली ही,आँखों मे उम्मीद लिए चलती हूँ। खमोश लब्जों में,दबे जज्बात लिए चलती हूँ। गिरती हूँ हर बार,किसी अपने की चोट से, फिर भी,मैं उठने की आश लिए चलती हूँ। बेशक ये उम्मीद टूटी,आँखे भी नम है मेरी फिर भी मैं ख्वाबों का कारवां लिए चलती हूँ। कहने को सब अपने हैं,दिल […]

पापा आपको खोने का गम

-अंजलि, भवाली पापा आपको खोने का गम हमेशा रहेगा। चाहे हमने कितना भी किया, आपके लिए। पर हमने कुछ नहीं किया, ये एहसास हमेशा रहेगा। डूबती आपकी सासो को वापस ना ला सकी मैं ये एहसास हमेशा रहेगा। खुद मोत के मुंह में थे पापा। और परवाह मेरी थीं आपको मेरे लाख पुकारने से भी। […]

पास आकर भी बातें अब होती कहां

-कमल सिंह, हल्द्वानी अल्फाजों में बातें तुम करती कहां, इशारों की भाषा मुझको आती कहां। निहार लेता हूं तुमको अब यूं ही दूर से पास आकर भी बातें अब होती कहां। सपनों में तो खरीद लाया था सेहरा भी मैं, मगर सपने मुक्ममल हो जाएं ऐसा होता कहां। उसके पापा को तो चाहिए था सरकारी […]

गौरैया

-डॉ. आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल ओ गौरैया! सोन चिरैया, क्यों अब तुम ना दिखती हो? मेरे घर की रौनक थी तुम, क्यों देहरी पार ना करती हो? शुभ संकेत, जो साथ तुम्हारे, आने से रह जाते हैं। मुनिया गौरैया कब आयेगी? सूने घर दीवार भी पूछते हैं! कीट नाशक और टावर आतंक, हमारी राह […]

आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ

-हिमांशु पाठक, हल्द्वानी उत्तराखंड आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ, खुश रहें तू सदा, ये दुआ देता हूँ ।। आँखों से, तेरे आँसु कभी ना बहे; तू! जहाँ भी रहे, बस सदा खुश रहें, मैं यही प्रार्थना, ईश से करता हूँ।। तूने दर्द दियें, मैं दुआ देता हूँ, तेरे आँसु को में, मैं अपना […]

उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

मृत्यु को मैं जी रही

-डॉ. शबाना अंसारी विरह में प्रियतम के संसार ही सुनसान है घुट घुट के जी रही विष ये भी पी रही तुम बिन मेरे प्रियतम मृत्यु को मैं जी रही सात वचनो में बंधी देह को तेरी किया धूल चरनो की तेरी मांग में अपनी भरा इससे जियादा किया करूं ये वचन कम तो नहीं […]

मत विनाश के द्वार को खोलो

-डॉ. भगवती पनेरू, हल्द्वानी, नैनीताल कुछ तो सोचो !! कुछ तो समझो !! मनु की ऐ संततियो!! अब तो ——- ???? मानव – मन की आंखें खोलो !! ये ऋषियों, मुनियों की धरती मत खिलवाड़ करो इनसे तुम! ये देवों की तपोभूमि है, मत पिकनिक स्पॉट बनाओ ! मत काटो प्रहरी पर्वतों को, मत यहां […]