Category: कहानी

अक्स की धुंध

-बीना फूलेरा ” विदुषी”, हल्द्वानी “लो अपना बस्ता पकड़ो बेटा और सीधे स्कूल जाओ “। माँ ने सिम्मी से कहाँ । “नही माँ मुझे डर लगता हैं .तुम भी आओ ना मेरे साथ” ..। माँ के पल्लू से आँसू पोछती सहमी सिम्मी माँ से बोली । तभी सिम्मी की माँ हेमा झुंझला कर बोली .”.तुम्हारा […]

खुश रहे ‘पाहूना’

-आशा बाजपेयी ‘संभवी’ समय बहुत ही बलवान है । चलते रहता ही इसकी नियती है । साथ ही साथ यह हमें भी सदैव कार्यरत रहने की सीख देता है । प्रभु की लीला भी अपरम्पार है। उसने मनुष्य को सदैव सद्‌मार्ग पर रहने के लिए प्राकृतिक उपादानों का उपहार दिया है ताकि उनसे शिक्षा ग्रहण […]

ऐसा भी होता है!

-पुष्पा जोशी ‘प्राकाम्य’, शक्तिफार्म,सितारगंज, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड कामिनी अपनी माँ और बहन अनीता के साथ रोजगार की तलाश में शहर का रुख कर, किराए का मकान तलाशती हुई नमिता से आ मिली। सड़क से लगे एक मकान के बाहर खड़ी नमिता को अभिवादन करते हुए कामिनी ने पूछा, “आपके यहाँ किराए पर कमरा मिल […]

नियति और जिंदगी

-आशा बाजपेयी ‘संभवी’ अचानक आज सुमन को अपने घर में देख कर मन बहुत प्रसन्न हो उठा, वह पहले वाली चुलबुली बिंदास सुमन फिर से लौट आई थी उसके चेहरे पर छाई खुशी देखकर मन गदगद हो गया ,वह मिलते ही गले लग गई l बोली -“बिमला कैसी है?” “आंटी से पता चला कि तुम […]

कपूत

बैकग्राउंड से आवाज आती है। —————– बिजली कड़क रही थी, घनघोर बारिश हो रही थी। चारों ओर तूफान आया था। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद से अधिकतर कहानी के नायकों का जन्म ऐसे ही माहौल में होने लगा है। लेकिन हमारी कहानी के नायक चमन का जन्म साधारण तरीके से हुआ। नार्मल डिलीवरी। बस […]

खिलौने

दीवाली की पुताई करके जा रहे मजदूर की नजर वृद्धा के आँगन के कोने पर पड़े टूटे फूटे खिलौनों पर पड़ी तो उसने पूछा -” अम्मा जी ये खिलौने काम के नहीं हैं तो मैं ले जाऊँ क्या ?” अरे बेटा ! इन बेकार खिलौनों को ले जाकर क्या करोगे? मैंने तो ये फेंकने के लिए निकाले […]

रिक्शावाला

  शाम हो ही चुकी थी। सर्दी दहलीज पर खड़ी थी। सोच रही थी गरमी जाए तो वो आ धमके। अंधेरा बस सड़क के लैंप पर उतर रहे थे। रिक्शा वाला अपनी लाइन में खड़ा था। अपनी बारी आए तो सवारी लेकर आज की रोटी बना सके। मेटो स्टेशन के आगे रिक्शे वालों की लंबी […]

“होशियार”

सीमा स्कूल में प्रिंसिपल थी, पिता रिटायर हो चुके थे, माँ कुशल गृहिणी थी, भाई इंजीनियर था। अंग्रेजी माध्यम का बड़ा इंटरमीडिएट स्तर तक का स्कूल, बेहतर सुविधाएँ, साफ़ सफाई का खास इंतज़ाम, चमकता कैंपस, बड़े घरों के बच्चे, सब कुछ एकदम चाक चौबंद कि सामान्य आदमी की तो पहुँच तक नहीं थी उस स्कूल […]

मां झूलादेवी

देवभूमि उत्तराखण्ड सदैव ही देवों की तपोभूमि रहा है , इस कारण यह अटूट एंव अगाध आस्था का केन्द्र भी रहा है | श्रावण मास व  नवरात्रों में मंदिरों में चहल पहल एंव भीड़ बढ जाती  है | रानीखेत के आसपास झूलादेवी, कालिका मंदिर , मनकामेश्वर मंदिर, पंचेश्वर मंदिर, शिव मंदिर आदि मंदिरों में भक्तों […]

भागीरथी

दादी मै भी चलूँगी तेरे साथ ” ” कहाँ चलेगी तू मेरे साथ ? ” ” जहाँ तू जा रही है ” ” तुझे कहाँ ले जाऊँगी उतनी दूर , स्कूल का क्या होगा ? ” ” मै आ कर सब काम  पूरा कर लूँगी ” ” ओ दुलहिन ! समझा इसे क्या करेगी मेरे […]