-ललिता परगांई, गौलापार हल्द्वानी कौन भूल ऐसी की हमने जो यह दण्ड दिया है तुमने, हमे पालकर, दुग्ध निकाल फिर, छोड़ दिया दर-दर को भटकने, कौन भूल ऐसी की हमने , जो यह दण्ड दिया है तुमने, पूजा कर्म का…
-रिपुदमन कौर, हल्द्वानी स्त्री सहनशील है। कभी उसका जी चाहा होगा सारी सहनशीलता को दरकिनार कर फट पढ़े ज्वालामुखी सा ताकि अंतरमन में उबलते लावे को उतनी ही सहजता से शांत कर सके जितनी सहजता से कर जाती है सब…
-ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी मैं करू नमन उन वीरों को ... जो देकर अपने प्राण गये । माँ भारतीय की सान की खातिर.. जो सरहद पर शहीद हुए । अपनी माँ के राजदुलारे... उनको जिसने जन्म दिया । कैसे मन…
- ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी माँ I Am sorry माँ ...❤️🙏 तेरे डाँटने पर मैं, तुझपर चिल्लाती हूँ। गुस्सा करती, तुझसे झगड़ती बात समझ नहीं पाती हूँ। तेरी कही गई बात मुझे, झटपट बूरी लग जाती है। जबकि वह मेरे…
-ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी क्यो बेटों जैसे बेटी, जीवन जी नहीं पाती? आखिर क्यों बेटी, बोल नहीं पाती ? मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ?, इसमें मेरा क्या कसूर ? हर किसी की बातों में क्यों? बेटा ही मशहूर ?....…
-किरन सागर नगर निगम बालिका इंटर कालेज काठगोदाम मैं मेंरे हिन्दूस्तान से बहुत प्यार करती हूँ, शहीद हुए हर एक जवान पर अभिमान करती हूँ, हर शहीद के बहाए लहू का सम्मान करती हूँ। लहू देकर जिसकी हिफाज़त की इन…
-माही अधिकारी द पैंथियान स्कूल हल्द्वानी ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। जहां फटी जीन्स को फैशन कहते, ये साड़ी को पूछते नहीं। ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। सुंदर प्रकृति इन्हें फोन में…
- बिपाषा पौडियाल शादी का माहौल था, मामा थे एक काम थे अनेक।। सारी घर की जिम्मेदारियाँ संभालने वाले, वो ओर कोई नही बल्कि थे मेरे मामा।। बिना चेहरा मुरझाये हुए, कर गए हँसते- हँसते सारा काम कोई अगर बताएं…