April 19, 2021 2Comments

आप भूख से मर सकते हैं, कोरोना से नहीं


-हास्य व्यंग्य

-गौरव त्रिपाठी, हल्द्वानी उत्तराखंड

एक तो शहर में कोरोना फैल रहा है, उपर से संपादक जी ने कोरोना पर स्टोरी लाने को कह दिया। संपादक जी भी बिल्कुल हाथ सेनेटाइज करके पीछे पड़ गए हैं। (कोरोना काल में कई मुहावरे चेंज हो गए हैं)। दो अखबारों से निकाले जाने के बाद आधी तनख्वाह पर बड़ी मुश्किल से नौकरी मिली है, इसलिए मरता क्या न करता। मुंह पर मास्क चढ़ाया और चल दिया।
सबसे पहले भाजपा के नेताजी नमो चरणदास मिल गए। मैंने सोचा इन्हीं से कुछ अंदर की खबर निकालता हूं।
नमो चरणदास जी राम-राम।
हर-हर मोदी, घर-घर मोदी।
घर-घर तो आजकल कोरोना हो रहा है। आपने भी चुनाव में भीड़ बुला-बुलाकर, कुंभ में डुबकी लगवा-लगवाकर घर-घर कोरोना पहुंचा दिया है।
अरे ये कैसी बात कह दी आपने। ये सब विपक्ष की साजिश है। हम फिर से लाॅकडाउन लगाएंगे। कोरोना की चेन तोड़ देंगे। पिछली बार भी हमारे पुलिस के जवानों ने लोगों के बाहर निकलते ही इतना मारा कि उनकी पैंट की चेन टूट गई। ऐसा ही इस बार भी करेंगे। बस बंगाल का चुनाव निपट जाने दीजिए।
अगर फिर से लाॅकडाउन लगा तो लोग फिर से बेरोजगार हो जाएंगे, वो भूखे मर जाएंगे।
कोई बात नहीं। लोग भूख से मर सकते हैं पर हम उन्हें कोरोना से नहीं मरने देंगे। क्योंकि कोरोना से मरने वालों की रिपोर्ट विश्व में जाती है। इससे भारत की छवि खराब होती है। भूख से लोग मरें इसकी चिंता नहीं।
लेकिन अगर जनता नहीं मानी…..।
बस…बस…। आप बहुत सवाल करते हैं। आपके अखबार को छूने से भी कोरोना फैलता है। दूर रहिए। मुझे चुनाव रैली की तैयारियों में जाना है।
इतना कहकर नेताजी निकल गए। मैंने कहा-चलो किसी आम आदमी से भी राय ले लेता हूं। एक आदमी बड़ी जल्दबाजी में बिना मास्क लगाए जा रहा था, मैंने कहा कि चलो इसी को पकड़ता हूं।
क्या नाम है आपका
हमरो नाम है राम लगोड़े।
राम लगोड़े। ये कैसा नाम है।
उ का है ना। हम राम मंदिर के आंदोलन के दौरान पैदा हुए थे। इसलिए अम्मा ने हमारो नाम राम लगाड़े रख दिया।
ओके राम लगोड़े जी। आप ये बताइये कि देष में लगातार कोरोना के केस बढ़ रहे हैं। नाइट कफर्यू लग गया है, क्या पूर्ण लाॅकडाउन लगना चाहिए।
अब मोदी जी चाहेंगे तो लगा देंगे लाॅकडाउन। हमरी कहां सुनते हैं वो। पिछली बार भी कौन सो हमसे पूछ के सब बंद करो थो। इत्तो पतो है कि बंगाल चुनाव तक तो ना ही लगि है। हम तो मौका देख के मुंबई से भाग आए।
अच्छा तो आप क्या लाॅकडाउन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
हां थोड़ी-थोड़ी तैयारी कर ली है। नौकरी पिछले लाॅकडाउन में ही छूट गई थी, तब से खाली ही घूम रहे थे। अब आराम से घर में आराम करेंगे। घर के बड़े बर्तन सारे पिछली बार ही बिक गए थे। थाली-प्लेंटे मोदी जी ने बजवा-बजवाकर फुड़वा डालीं। इस बार रोटी बैंक, थाल सेवा और दो अन्य गरीबों को खाना खिलाने वाली संस्थाओं को अपना घर दिखाई दौ है। पिछली बार इत्ती दूर खाना बांट रहे थे कि खाना लेने के चक्कर में दुई बार पुलिस वालों से पिट गए। बस शाम की व्यवस्था के लिए शराब की बोतलें खरीदन जाई रहे हैं। जा बहुत जरूरी चीज है। बाकी चीजें तो मिल जात हैं।
मीडिया के माध्यम से मोदी जी से कुछ पूछना चाहेंगे।
हां मेरो मोदी जी से सिर्फ एक सवाल है कि ये रामायण और महाभारत वाय टाइम पर आ रही है या उसको टाइम चेंज हुई गौ है। एक बार टीवी पर आकर बता दीजिएगा। कुछ पता नहीं चल रहा।
मैंने लंबी सांस ली और आफिस की ओर भागा। लाॅकडाउन में नौकरी जो बचानी है।

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gtripathi

2 comments

  1. वाह

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    1. कोरोनावायरस का तो पता नहीं पर भूख से हम नहीं मरने देंगे ।
      भूख़ की परिभाषा छोटी है बस एक रोटी है ।

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