Category: कविता

हाड़ कंपाती बर्फीली हवा

-पूरन भट्ट, हल्दूचौड़ दोस्तो, कहना न होगा कि धुंध से उपजी ठंड और सूर्य की रश्मियों में अपना वर्चस्व सिद्ध करने का जो प्राकृतिक ड्रामा चल रहा है उसने तो हमारा जीना मुहाल किया हुआ है ! हाड़ कंपाती बर्फीली हवा नाक और कान सुन्न करते हुए सीमा पर खड़े जवानों की याद ताज़ा कर […]

तिरंगा -गीत

-डॉ. गीता मिश्रा ‘गीत’, हल्द्वानी, उत्तराखण्ड स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा घर – घर में लहरायेगा। आन शान सम्मान हमारा,फहर -फहर-फहरायेगा।। 1. लगे हुए थे जो दुश्मन अपना षडयन्त्र रचाने में, झुके नहीं उनके आगे,झंडे का मान बचाने में।। देश-भक्ति सर्वस्व समर्पण देख शत्रु थर्रायेगा।। स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा,घर -घर में लहरायेगा।। 2.अगणित बार पुनीत तिरंगा […]

मां!

-डॉ.आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी मां तो मां ही होती है , वो जवान,ना बूढ़ी होती है । पर्याय,खूबसूरती का करती वहन, होती अहसास का वो आह्वाहन। मां के माथे की हर लकीर , होती उसके श्रम की ही तस्वीर। इन लकीरों की कोशिश ही तो, बनाती है हमारी तकदीर । मां का हर भाव और […]

लगता है ठंड बढ़ रही है

-किरन पंत’वर्तिका’, हल्द्वानी उत्तराखंड गलियां सब सुन्न पड़ गयी है दिन ढलने लगा है जल्दी हवाएं भी सर्द पड़ रही हैं लगता है ठंड बढ़ रही है। सब साथ बैठने लगे हैं घर आने लगे हैं जल्दी मिलकर खूब गप्पे चल रही हैं लगता है ठंड बढ़ रही है। यही बात सुबह में कुछ खास […]

राज़्य की उन्नति ही राष्ट्र की उन्नति

-हेमलता, रूद्रपुर, उधम सिंह नगर राज्य शक्तिशाली है तो, राष्ट्र का कुछ नही बिगड़ पाएगा जन जन अगर बात समझेगा तो देश उन्नति कर पाएगा। बूंद बूंद से सागर बनता यह बात पहचाननी होगी, देश भक्ति की लौ, हर दिल में जगानी होगी। इस गौरवान्वित धरती की, बात अजब निराली है, इसके खेतो में सोना […]

ए गुजरने वाले साल !

-पूजा भट्ट, मोटाहल्दु, लालकुआँ (नैनीताल) ए गुजरने वाले साल! खूब निभाया तुमने मेरा साथ जाते-जाते,अब जो बनने वाला है इतिहास जब आए थे! तो चारों तरफ़ प्यार और खुशियां ही थी अब जब जा रहे हो तो कुछ यादों के सिवा और कुछ नहीं ओह! इतिहास बनने वाले साल तुमने ही सिखाया मुझे कठिन परिस्थितियों […]

अरे ! नव युवक ….

– बीना फूलेरा “विदुषी’, हल्द्वानी अरे ! नव युवक तू सो रहा है? जगी अलसाई रात , भोर की पलक खुली बही सुगंधित मलय समीर मचल उठी कोमल गात कली। जो हुआ नही कभी वो हो रहा है अरे ! नव युवक तू सो रहा है? स्पंदित हुई लघु सरिता सागर की छलक उठी किरणें […]

काश हम बच्चे हो जाएं फिर से

-डॉ. अंकिता चांदना, हल्द्वानी काश हम बच्चे हो जाएं फिर से वापस मां के आंचल में छिप जाएं फिर से कभी दादी मां की कहानियां दोहराएं फिर से कभी गुड्डा गुड़िया की शादी रचाएं फिर से काश हम……………. वापस लौट मां की गोद में सो जाएं फिर से हंसी ठिठोली, दोस्तों की टोली बनाएं फिर […]

जीवन पथ के सच्चे राही ,जीवन पथ पर बढ़ते जाना

-प्रेम सिंह  *जीवन पथ के सच्चे राही ,जीवन पथ पर बढ़ते जाना। * मात -पिता और गुरुजनों का, साथ निरंतर लेते जाना, जीवन है एक भूल भुलैया, लेकिन तुझको पार है जाना, मेहनत अपनी करते जाना, जीवन पथ के सच्चे राही , जीवन पथ पर बढ़ते जाना II, आशा और निराशा से तू , आशा […]

दून कान्वेंट के प्यारे-प्यारे बच्चे

-शशी जोशी, हिंदी शिक्षिका दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी हम दून कान्वेंट के प्यारे-प्यारे बच्चे हैं। हम दून कान्वेंट के नन्हें-मुन्ने बच्चे हैं। शैतानी करते हैं खूब, लेकिन दिल के सच्चे हैं। साफ-सफाई से रहने को मैम ने हमें सिखाया है। लड़ाई-झगड़ा बुरी आदत है, हमको ये समझाया है। हाथ धोकर खाना खाते, बच्चे वे ही […]