Category: नन्ही कलम

मैं और मेरा हिंदुस्तान

-किरन सागर नगर निगम बालिका इंटर कालेज काठगोदाम मैं मेंरे हिन्दूस्तान से बहुत प्यार करती हूँ, शहीद हुए हर एक जवान पर अभिमान करती हूँ, हर शहीद के बहाए लहू का सम्मान करती हूँ। लहू देकर जिसकी हिफाज़त की इन वीरों ने, देश की उस मिट्टी को मन से प्रणाम करती हूँ। हर जुबान से […]

कैसा है ये कलयुग भगवन

-माही अधिकारी द पैंथियान स्कूल हल्द्वानी ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। जहां फटी जीन्स को फैशन कहते, ये साड़ी को पूछते नहीं। ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। सुंदर प्रकृति इन्हें फोन में दिखती, कोई इन्हें असली प्रकृति को नजारों का एहसास दिलाओ जी। ये कैसा है कलयुग […]

मेरे प्यारे मामा जी

– बिपाषा पौडियाल शादी का माहौल था, मामा थे एक काम थे अनेक।। सारी घर की जिम्मेदारियाँ संभालने वाले, वो ओर कोई नही बल्कि थे मेरे मामा।। बिना चेहरा मुरझाये हुए, कर गए हँसते- हँसते सारा काम कोई अगर बताएं कुछ काम, तो हमारे मामा थे झटपट तैयार मामा न होते तो शायद शादी में […]

हरियाला सावन

-बिपाषा पौडियाल, बीएलएम एकेडमी आया सावन, आया सावन मतवाला सावन, हरियाला सावन घुमड़-घुमड कर बादल गरजे देखो नील गगन में बिजली है कड़के जोर-जोर से मेघा बरसे। चिड़िया भी अपना मधुर गीत सुनाए मोर भी मस्त मगन होकर नाचे बागों में सब देखो झूला है, झूले मस्त मगन सब यह बताते मतवाला सावन, हरियाला सावन […]

गणतंत्रता

-कोमल भट्ट महज़ किरदार ही क्यों.., खुद में एक कहानी बनो हिंदू–मुस्लिम तो ठीक है, पर पहले एक हिंदुस्तानी बनो!! स्वतंत्रता के बाद भी ये सिलसिला न खत्म हुआ, लड़ते रहे आपस में और दी देश को ब-दुआ | आज़ादी के बाद फिर सोचा संविधान लाना होगा, हिंदू-मुस्लिमों को पहले हिंदुस्तानी बनाना होगा | तभी […]

सर्दी का मौसम

-प्रियदर्शनी खोलिया, हल्द्वानी सर्दी का है मौसम आया, आसमान में कोहरा छाया। कहीं पड़ेंगे ओले, तो कहीं पड़ेगी बरफ, पर यह ठंड तो छा गई हर तरफ। सब के गर्म कपड़े जैसे स्वेटर और जैकेट निकल जाते हैं, बाजारों में गुड़ मूंगफली और सेब केले ही आते हैं। बच्चों के स्कूल हो जाते हैं बंद, […]

हाए कलियुग!

– हंसिका रौतेला सामने पहाड़ खड़ा है? काट दो इसे। यहां नदी बहती है? इस पर हम बांध बनाएंगे। यह जो घना जंगल है, कितना पुरातन! हम आधुनिकता के पुजारी हैं, हम यहां सड़कें बनाएंगे। जानवर था, मार दिया। जानवर है, कम विकसित है। खतरनाक है! वह सही ग़लत की समझ नहीं रखता। एसलिए मार […]

बेटियाँ

-मेघा भट्ट, कक्षा – 9 दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी हर घर की शान होती हैं, बेटियाँ हर आँगन की मान होती हैं,बेटियाँ। जब भी किसी घर मे जन्म लेती हैं, बेटियाँ उस घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं, बेटियाँ। घर की सुंदरता को बढ़ाती हैं, बेटियाँ सब का आदर ,सम्मान करती हैं बेटियाँ । लक्ष्मी, […]

पहाड़

-अक्षिता बिष्ट, कक्षा-9, दून कान्वेंट स्कूल, हल्द्वानी हरि – भरि हरियाली या कि शान छू यो मेयर पहाड़ों की रंगीली या तितली घूमें, पहाड़ बैटी फूल तकी रेशमी – रूमाल जैसी धान लागी खेती बटी खलियानों तकी उजियारी धूप याकी चमकें रये हीरे जैसी सबुवैती अलग छ मेरो यो पहाड़ उत्तराखंड की नन्दा देवी,पूर्णागिरी धामा […]

हंसकर पैदा होती है वो

-हर्षित जोशी, हल्द्वानी हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो, समझ कर सर का भार बियाही जाती है वो । अपनो की खातिर खुद के अरमानों का कत्ल कर लेती है वो , हंसकर पैदा होती है वो, पर जिंदगी भर रोते ही रह जाती है वो ।।1।। […]