January 11, 2023 3Comments

हाए कलियुग!

– हंसिका रौतेला
सामने पहाड़ खड़ा है?
काट दो इसे।
यहां नदी बहती है?
इस पर हम बांध बनाएंगे।
यह जो घना जंगल है,
कितना पुरातन!
हम आधुनिकता के पुजारी हैं,
हम यहां सड़कें बनाएंगे।
जानवर था, मार दिया।
जानवर है, कम विकसित है।
खतरनाक है!
वह सही ग़लत की समझ नहीं रखता।
एसलिए मार दिया, क्या बुरा किया?
अरे! यह क्या!
त्रासदी!
हमारे कांक्रीट के जंगल धंसने लगे!
भूस्खलन!
भूकंप!
बाड़!
क्या? प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया!?
हाए कलियुग! हाए कलियुग!
हांँ, यह सब कलियुग की ही तो देन है।

Social Share

gtripathi

3 comments

  1. Very nice keep it up.

    Reply
  2. Very nice keep it up

    Reply
  3. बहुत सुंदर

    Reply

Write a Reply or Comment