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सुनो ओ पहाड़ की बेटियों

-किरन पंत ‘वर्तिका’ जाने किसकी नजर लगी मेरे गांव को मेरी खुशियों को नीलाम कर गए। मेरे देवों की पुण्य भूमि को यह बाहरी दानव कलंकित कर गए। मगर भयभीत ना होना तुम एक पल भी यह तुम्हारी शक्तियों को जागृत कर गए। एक ने बलिदान दिया तुम संहार करोगी सुनो ओ पहाड़ की बेटियों…………. […]

वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है

-पूजा भट्ट कली से फूल बन जाती है जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है। नदियों के तीव्र वेग में भी जो, नौका अपनी पार लगाती है। वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है। समाज में खुद को ऊंचा उठाती है अंगारों में चलकर भी जिसको, हार नहीं कभी भाती है। वो कोई और […]

गुरु-महिमा

– अमीशा रावत 1)गुरु गीता की वाणी है, गायी गयी थी जो समरधरा में; गुरु मधुकर का रस है, जो नन्हे भौंरे का आसरा है; गुरु वसंत का सुहावना मौसम है, जो मदनकलियों का सहारा है। 2)दूर करे जो अज्ञान का साया, गुरु ज्ञान का है वो जगमगाता दीपक; गुरु केशव का पांचजन्य, जो विजयतरंग […]

जुर्म

-शारदा गुप्ता रिश्वत लिया मत करो, जुर्म किया मत करो। करके जुर्म जाओगे जेल, फिर करोगे कितनी भी कोशिश हर अच्छे काम में होगे फेल। जुर्म क्या तुमने एक, आरोप लगेंगे अनेक। गर लग गई जुर्म की आदत। बुरे काम से कर न पाओगे खुद की हिफाजत। हासिल होगा ना कुछ जुर्म से, स्वर्ग नसीब […]

उन पर्वतों से मैंने पूछा

– हिमांशु नेगी उन पर्वतों से मैंने पूछा यह लाल क्यों है तुम्हारी भूमि क्यो ये नीर बह रही लहू से , क्यों यह गगन रूठा है मुझसे । रूठने की वजह बेशक व कारगिल है जहां पग बड़े उन अनजान के, जो हथियाने आए थे ताज हिंदुस्तान के भगाया उनको ज्ञान से हथियार से […]

बंद करो दहेज प्रथा

-रेनुका आर्या बंद करो दहेजप्रथा, नारी का मत करो व्यापार, स्वयं जिसे कहते तुम लक्ष्मी, क्यों कर रहे फिर उसपर तुम अत्याचार | दौलत के तराजू पर तोल के, छीना तुमने उसका अधिकार, नारी बिन जीवन है सुना, थोड़ा तो करो विचार | कभी संगनी, कभी भगिनी बन, उसने लुटाया तुम पर प्यार, दौलत के […]

फिर से एक माँ की…..

-पूजा नेगी (पाखी) फिर से एक माँ की तपस्या, बेकार हो गई। आज फिर देवभूमि से मेरी, इंसानियत शर्मसार हो गई। एक बार नही,बार-बार ये मंजर दोहराता है, क्योंकि यहाँ की सरकार,बेकार हो गई। कोई दण्ड नही,आरोपी को सुरक्षा दी जाती है। यहाँ की कचहरी जैसे,आरोपी की तारणहार हो गई। फिर से एक माँ की […]

रामधारी सिंह दिनकर

-सुबोध कुमार शर्मा शेरकोटी, गदरपुर, ऊधमसिंह नगर दिनकर ने दिनकर सम, ज्ञानालोक को फैलाया कुरुक्षेत्र का सृजन कर, काव्य मर्म को समझाया।। अज्ञानान्धकार को तुमनें, ज्ञान प्रकाश से दूर किया। राष्ट्र कवि से सम्मानित हो, राष्ट्रीय काव्य का सृजन किया।। हम अर्पित करते श्रद्धा सुमन, शब्द पुष्प तुमको हैं अर्पित। साहित्यकाश मे रवि सम, निरख […]

फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार

-बीना सजवाण, हल्द्वानी फिर एक गुड़िया वहशी नजरों की हो गई शिकार फिर देवभूमि समाज और इंसानियत हो गई शर्मसार एक अंकिता नहीं कितनी अंकिताओ को तड़पाया है फिर एक मां की सूनी कोख रोई एक पिता की आंखें शरमाई बहन की इस हालत पर एक भाई की आंखें लजाई कहते हम इसको ऋषि-मुनियों की […]

वह नर नही ,नर पशु है

-उम्मेद सिंह बजेठा वह नर नही ,नर पशु है, और मृतक समान। हिंदी राजभाषा लिपि, देवनागरी का प्रावधान। कर्ण प्रिय, मधुर सरल, समझने मै आसान। संस्कृत सब भाषाओं की जननी, चेतना श्रोत तमिल तेलगु की संगिनी, सूर कबीर,तुलसी मीरा ने, प्रभु का किया सदा गुणगान, जन जन तक पहुंचाकर, अमर हुए रसखान। शब्द कोष हिंदी […]