Tag: uttarakhand ke kaviyon ki kavitayen

उत्तरायणी का त्यौहार

Anjali haldwani Nainital, Uttarakhand आया उत्तरायणी त्यौहार निराला हर घर में बनाई घुघूते कि माला गुड़,तिल, आटे,सूजी से मम्मी ने बनाये पकवान। सबके चेहरो पर आ गई मुस्कान आया उत्तरायणी का त्यौहार। पापा लाए संतरे तीन-चार। कौवा का रंग काला। मम्मी ने बनाई घुघूते कि माला। पहले कौवे को खिलाएगे, फिर हम सब भी खाएगे, […]

हाय कोरोना

-बिपाषा पौडियाल, बीएलएम एकेडमी हल्द्वानी जब कहीं जाने का हो विचार संभल के रहना मेरे यार क्योंकि कोरोना ने किया है बड़ा अत्याचार चारों ओर मचा है हाहाकार क्योंकि कोरोना के साथ महंगाई ने भी मचा रखी है हाहाकार बचत ने कर दिया है बेड़ा पार महंगाई ने भी दिया है स्वर्ग को नर्क गरीबों […]

नहीं पटाखे इस बार जलाएं

-डाक्टर भगवती पनेरू प्रवक्ता हिंदी,बिड़ला स्कूल हल्द्वानी कोविद से रहना है दूर, नियम ये मानने होंगे ज़रूर– कोरोना को न पास बुलाएं, दीवाली दीपों की मनाएं। दीवाली में दीप जलाएं, घर-घर में खुशियां छा जाएं। नहीं पटाखे इस बार जलाएं, धुआं बारूदी नहीं उड़ाएं। हवा को मिल-जुल स्वच्छ बनाएं, नहीं प्रदूषित उसे बनाएं। कोरोना का […]

हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर

-पूरन भट्ट, वरिष्ठ कवि हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर, वक़्त के थपेड़ों ने सताया नहीं होता ! मंजिले मकसूद कहाँ हांसिल था हमें पूरन, रास्ता मेहरबां ने अगर,बताया नहीं होता !

फूल

-हरिपाल, राकउप्रा विद्यालय लामाचैड़ मंदिर में चढ़ाए जाते, पूजा इनसे होती है। बिना बात के तोड़े जाते, कलियां इनकी रोती हैं। पौधों पर ये लगे हुए हैं, सबके मन को भाते हैं। घर की शोभा बनी रहे, गार्डन सभी लगाते हैं। तितली इनमें मंडराती है, छाई इनसे लाली है। हरे-हरे पत्तों से देखों, दिखती सदा […]

मेरे पति मेरा प्यार

-अंजलि, हल्द्वानी दिन भर मेहनत करके शाम को घर आते है वो। मेरी एक मुस्कान पे फिदा हो जाते है वो। जैसे कि थके ही नहीं होगें मुझे एहसास दिलाते हैं वो। मैं जब उनकी हथेलियों को देखती हूँ छाले पड़े हैं। तो बोलते हैं कुछ नहीं और अपनी हथेलियों को छुपाते हैं वो। फिर […]

भूली -बिसरी बचपन की यादें

-गिरिलाल गोपाल मण्डल, रानीखेत, उत्तराखंड याद आता है वो पुराना स्कूल याद आती है वो हरियाली, रंग बिरंगे फूल पेड़ों की छाया में रहते थे मस्त, ना कोई टेंशन, ना कोई चिंता, कितने ही खेलों में रहते थे ब्यस्थ। कहा चला गया, वो प्यारा बचपन खुशियों की बारि शो में भीगा तनमन। मास्टरजी हमारे बड़े […]

एक प्रेमी

-अजय आर्या, लालकुआं ना जाने क्या बात है तुम्हारे चेहरे पर सामने आती है तो सारे गम भुला देता हूँ कुछ तो जादू है तुझ में जो दूर होने पर भी तुम्हारे ही ख्यालों में रहता हूँ मेरे चेहरे की मुस्कान भी तुम हो मेरे दिल की अरमान भी तुम हो तुम ही हो हर […]

हिंदी से हिंदुत्व है

-चंपा बिष्ट, च्यूनी ( खीला), भतरोंजखान ( अल्मोड़ा ) हिंदी से हिंदुत्व है , हिंदुत्व से हिंदुस्तान । हिंदी भाषा सर्वोपरि है , नित करें इसका सम्मान । हिंदी से ही सम्भव है , सारे वेदों का ज्ञान । हिंदी भाषा से ही हम पढ़ पाते हैं , गीता और कुरान । हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा […]

ऐ प्रकृति तू

-प्रेमलता, चौखुटिया,  अल्मोड़ा ऐ प्रकृति तू ऐ प्रकृति तू इतनी अद्भुत कैसे हो गई है? ना कोई जादू ना कोई चमत्कार फिर ऋतुओं में परिवर्तन कैसे लाती है? ऐ प्रकृति तू… कभी जाड़े से तेरे तपन बिन देह का लहू भी जम जाता! तो कभी तेरी हवा व छांव बिन जीवन तक थम जाता है! […]