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हाड़ कंपाती बर्फीली हवा

-पूरन भट्ट, हल्दूचौड़ दोस्तो, कहना न होगा कि धुंध से उपजी ठंड और सूर्य की रश्मियों में अपना वर्चस्व सिद्ध करने का जो प्राकृतिक ड्रामा चल रहा है उसने तो हमारा जीना मुहाल किया हुआ है ! हाड़ कंपाती बर्फीली हवा नाक और कान सुन्न करते हुए सीमा पर खड़े जवानों की याद ताज़ा कर […]

हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर

-पूरन भट्ट, वरिष्ठ कवि हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर, वक़्त के थपेड़ों ने सताया नहीं होता ! मंजिले मकसूद कहाँ हांसिल था हमें पूरन, रास्ता मेहरबां ने अगर,बताया नहीं होता !