Tag: kumauni vyangya

जीण् यैधैं कौंनी

-भाई जिले ! -हूँ कौ भाई नफे ! -आज उदास हैबेर जै किलै भै रौछै? -के न भाई यौ जिंदगी हैबेर निआंश् है गयूँ -हाई उ किलै? -भाई सबै जाम् करी ढेपू टाक् लगैबेर एक धंद शुरू करौ उ फलापत नि भै, आब् समजै में न ऊनै के करूँ कबेर। -त यमें यतू निआंश् किलै […]

बाब्,ठुल न भै-सबन हैं ठुल रूपैं

दगड़ूवल् कौ म्यर क्वे भै (भाई) न्हाँतन्, मैंन कौ तुम को किस्माक् भाईक बात करनाहा, दगड़ू हँसौ और बुलाणौ- अरे म्यर मल्लब जसिक रामक् भाई लछिमण, युधिष्ठिरक भाई अर्जुन, भीम। मैंन कौ- भौत बढिया छ तुमर क्वे भाई न्हाँतन, अच्याल कलियुग में यास भाई हुनी काँ? अगर यास भाई हुनी लै त नान्छनाईं कुम्भक म्याव् […]