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पास आकर भी बातें अब होती कहां

-कमल सिंह, हल्द्वानी अल्फाजों में बातें तुम करती कहां, इशारों की भाषा मुझको आती कहां। निहार लेता हूं तुमको अब यूं ही दूर से पास आकर भी बातें अब होती कहां। सपनों में तो खरीद लाया था सेहरा भी मैं, मगर सपने मुक्ममल हो जाएं ऐसा होता कहां। उसके पापा को तो चाहिए था सरकारी […]

आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ

-हिमांशु पाठक, हल्द्वानी उत्तराखंड आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ, खुश रहें तू सदा, ये दुआ देता हूँ ।। आँखों से, तेरे आँसु कभी ना बहे; तू! जहाँ भी रहे, बस सदा खुश रहें, मैं यही प्रार्थना, ईश से करता हूँ।। तूने दर्द दियें, मैं दुआ देता हूँ, तेरे आँसु को में, मैं अपना […]

उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

गणतंत्रता

-कोमल भट्ट महज़ किरदार ही क्यों.., खुद में एक कहानी बनो हिंदू–मुस्लिम तो ठीक है, पर पहले एक हिंदुस्तानी बनो!! स्वतंत्रता के बाद भी ये सिलसिला न खत्म हुआ, लड़ते रहे आपस में और दी देश को ब-दुआ | आज़ादी के बाद फिर सोचा संविधान लाना होगा, हिंदू-मुस्लिमों को पहले हिंदुस्तानी बनाना होगा | तभी […]

सर्दी का मौसम

-प्रियदर्शनी खोलिया, हल्द्वानी सर्दी का है मौसम आया, आसमान में कोहरा छाया। कहीं पड़ेंगे ओले, तो कहीं पड़ेगी बरफ, पर यह ठंड तो छा गई हर तरफ। सब के गर्म कपड़े जैसे स्वेटर और जैकेट निकल जाते हैं, बाजारों में गुड़ मूंगफली और सेब केले ही आते हैं। बच्चों के स्कूल हो जाते हैं बंद, […]

हाए कलियुग!

– हंसिका रौतेला सामने पहाड़ खड़ा है? काट दो इसे। यहां नदी बहती है? इस पर हम बांध बनाएंगे। यह जो घना जंगल है, कितना पुरातन! हम आधुनिकता के पुजारी हैं, हम यहां सड़कें बनाएंगे। जानवर था, मार दिया। जानवर है, कम विकसित है। खतरनाक है! वह सही ग़लत की समझ नहीं रखता। एसलिए मार […]

मत विनाश के द्वार को खोलो

-डॉ. भगवती पनेरू, हल्द्वानी, नैनीताल कुछ तो सोचो !! कुछ तो समझो !! मनु की ऐ संततियो!! अब तो ——- ???? मानव – मन की आंखें खोलो !! ये ऋषियों, मुनियों की धरती मत खिलवाड़ करो इनसे तुम! ये देवों की तपोभूमि है, मत पिकनिक स्पॉट बनाओ ! मत काटो प्रहरी पर्वतों को, मत यहां […]

हाड़ कंपाती बर्फीली हवा

-पूरन भट्ट, हल्दूचौड़ दोस्तो, कहना न होगा कि धुंध से उपजी ठंड और सूर्य की रश्मियों में अपना वर्चस्व सिद्ध करने का जो प्राकृतिक ड्रामा चल रहा है उसने तो हमारा जीना मुहाल किया हुआ है ! हाड़ कंपाती बर्फीली हवा नाक और कान सुन्न करते हुए सीमा पर खड़े जवानों की याद ताज़ा कर […]

तिरंगा -गीत

-डॉ. गीता मिश्रा ‘गीत’, हल्द्वानी, उत्तराखण्ड स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा घर – घर में लहरायेगा। आन शान सम्मान हमारा,फहर -फहर-फहरायेगा।। 1. लगे हुए थे जो दुश्मन अपना षडयन्त्र रचाने में, झुके नहीं उनके आगे,झंडे का मान बचाने में।। देश-भक्ति सर्वस्व समर्पण देख शत्रु थर्रायेगा।। स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा,घर -घर में लहरायेगा।। 2.अगणित बार पुनीत तिरंगा […]

मां!

-डॉ.आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी मां तो मां ही होती है , वो जवान,ना बूढ़ी होती है । पर्याय,खूबसूरती का करती वहन, होती अहसास का वो आह्वाहन। मां के माथे की हर लकीर , होती उसके श्रम की ही तस्वीर। इन लकीरों की कोशिश ही तो, बनाती है हमारी तकदीर । मां का हर भाव और […]