Tag: haldwani ke kavi

बेजुबान

-ललिता परगांई, गौलापार हल्द्वानी कौन भूल ऐसी की हमने जो यह दण्ड दिया है तुमने, हमे पालकर, दुग्ध निकाल फिर, छोड़ दिया  दर-दर  को भटकने, कौन भूल ऐसी की हमने , जो यह दण्ड दिया है तुमने, पूजा कर्म का ढोंग हो करते माँ बच्चे से दूर हो करते’ एक-एक पानी बूंद की पीने को […]

बेटी का सवाल

-ललिता परगाँई, गौलापार हल्द्वानी क्यो बेटों  जैसे बेटी, जीवन जी नहीं पाती? आखिर क्यों बेटी, बोल नहीं पाती ? मैं बेटी हूँ तो क्या हुआ?, इसमें मेरा क्या कसूर ? हर किसी की बातों में क्यों? बेटा ही मशहूर ?…. क्यों एसा होता है अक्सर …….. बेटी ही गलत कहलाती हैं क्यों बेटों जैसे बेटी…. […]

मैं अब उड़ना चाहती हूँ

-प्राक्षी ओझा मैं अब उड़ना चाहती हूँ | अपने अरमानों को एक नया रूप देना चाहती हूँ, सिर्फ एक अच्छी ज़िंदगी जीना चाहती हूँ, मैं अब उड़ना चाहती हूँ | क्या लड़की होना कोई गुनाह है? या लड़की एक खिलौना है? लड़की पर लगी बेड़ियों को , मैं अब तोड़ना चाहती हूँ | मैं अब […]

पास आकर भी बातें अब होती कहां

-कमल सिंह, हल्द्वानी अल्फाजों में बातें तुम करती कहां, इशारों की भाषा मुझको आती कहां। निहार लेता हूं तुमको अब यूं ही दूर से पास आकर भी बातें अब होती कहां। सपनों में तो खरीद लाया था सेहरा भी मैं, मगर सपने मुक्ममल हो जाएं ऐसा होता कहां। उसके पापा को तो चाहिए था सरकारी […]

गौरैया

-डॉ. आभा सिंह भैसोड़ा, हल्द्वानी, नैनीताल ओ गौरैया! सोन चिरैया, क्यों अब तुम ना दिखती हो? मेरे घर की रौनक थी तुम, क्यों देहरी पार ना करती हो? शुभ संकेत, जो साथ तुम्हारे, आने से रह जाते हैं। मुनिया गौरैया कब आयेगी? सूने घर दीवार भी पूछते हैं! कीट नाशक और टावर आतंक, हमारी राह […]

आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ

-हिमांशु पाठक, हल्द्वानी उत्तराखंड आँसु, तूने दिये, मैं दुआ देता हूँ, खुश रहें तू सदा, ये दुआ देता हूँ ।। आँखों से, तेरे आँसु कभी ना बहे; तू! जहाँ भी रहे, बस सदा खुश रहें, मैं यही प्रार्थना, ईश से करता हूँ।। तूने दर्द दियें, मैं दुआ देता हूँ, तेरे आँसु को में, मैं अपना […]

उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

सर्दी का मौसम

-प्रियदर्शनी खोलिया, हल्द्वानी सर्दी का है मौसम आया, आसमान में कोहरा छाया। कहीं पड़ेंगे ओले, तो कहीं पड़ेगी बरफ, पर यह ठंड तो छा गई हर तरफ। सब के गर्म कपड़े जैसे स्वेटर और जैकेट निकल जाते हैं, बाजारों में गुड़ मूंगफली और सेब केले ही आते हैं। बच्चों के स्कूल हो जाते हैं बंद, […]

मत विनाश के द्वार को खोलो

-डॉ. भगवती पनेरू, हल्द्वानी, नैनीताल कुछ तो सोचो !! कुछ तो समझो !! मनु की ऐ संततियो!! अब तो ——- ???? मानव – मन की आंखें खोलो !! ये ऋषियों, मुनियों की धरती मत खिलवाड़ करो इनसे तुम! ये देवों की तपोभूमि है, मत पिकनिक स्पॉट बनाओ ! मत काटो प्रहरी पर्वतों को, मत यहां […]

तिरंगा -गीत

-डॉ. गीता मिश्रा ‘गीत’, हल्द्वानी, उत्तराखण्ड स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा घर – घर में लहरायेगा। आन शान सम्मान हमारा,फहर -फहर-फहरायेगा।। 1. लगे हुए थे जो दुश्मन अपना षडयन्त्र रचाने में, झुके नहीं उनके आगे,झंडे का मान बचाने में।। देश-भक्ति सर्वस्व समर्पण देख शत्रु थर्रायेगा।। स्वाभिमान से हिन्द तिरंगा,घर -घर में लहरायेगा।। 2.अगणित बार पुनीत तिरंगा […]