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हाड़ कंपाती बर्फीली हवा

-पूरन भट्ट, हल्दूचौड़ दोस्तो, कहना न होगा कि धुंध से उपजी ठंड और सूर्य की रश्मियों में अपना वर्चस्व सिद्ध करने का जो प्राकृतिक ड्रामा चल रहा है उसने तो हमारा जीना मुहाल किया हुआ है ! हाड़ कंपाती बर्फीली हवा नाक और कान सुन्न करते हुए सीमा पर खड़े जवानों की याद ताज़ा कर […]

हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर

-पूरन भट्ट, वरिष्ठ कवि हम भी कहाँ क़ाबिल हुए होते अगर, वक़्त के थपेड़ों ने सताया नहीं होता ! मंजिले मकसूद कहाँ हांसिल था हमें पूरन, रास्ता मेहरबां ने अगर,बताया नहीं होता !

रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई

वर्षा आई, वर्षा आई। रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई। घने काले बादल आए, उमड़-घुमड़ कर नभ पर छाए। मोर नाचने लगे मस्त हो, मेढ़क ने भी गीत सुनाए। नभ पर बिजली लगी चमकने, सूखी धरती लगी महकने। रंग-बिरंगी नाव चल पड़ी, चंचल-सी लहरों पर बहनें। -स्मृति राणा, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल

आओ बरखा रानी

आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। तुमरे बिन हम नहीं रह सकते, जीवन संभव न कर सकते। आओ बरखा रानी, दो हमें तुम पानी। तुमरे बिन पशु-पक्षी न रह सकते, आओ बरखा रानी। दो पशु पक्षियों को पानी तुमरे बिन पेड़ नहीं रह सकते, आओ बरखा रानी […]

बादल आया

काला घोड़ा आया, बादल आया। संग ये अपने बरखा लाया। रिमझिम का, संगीत सुनाता। खुशियों का, संदेशा लाया। -वैष्णवी रानी, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल

बरखा रानी आती है

जब-जब पानी आता है, पत्ते, फूल खिलाता है। बरखा रानी आती है, रिमझिम पानी लाती है। पानी आता झर-झर, बादल गरजते गर-गर-गर। बिजली रानी चमकती है, लगता अच्छा नभ-मंडल। कभी आता ज्यादा पानी, कभी आता पानी कम। कभी कहीं पर बाढ़ बोलती कभी बोलता सूखापन। -अक्षया बिष्ट, कक्षा पांच जय अरिहंत इंटरनेशनल स्कूल