Tag: geeta upreti

बिन तलाशे हमें हर खुशी चाहिए

-गीता उप्रेती बिन तलाशे हमें हर खुशी चाहिए, कशमकश के बिना जिंदगी चाहिए। चाहते हो अगर जिंदगी में सुकूँ, हसरतों में भी थोड़ी कमी चाहिए। शोर अंदर का जीने न देता हमें, और वो कहते क्यों ख़ामशी चाहिए। उनको नाराज़गी ग़र दिखानी है तो, लहज़े में बेरुख़ी होनी भी चाहिए। समझेंगे वरना अपने ही पत्थर […]

द्वंद चल रहा है मन में

-गीता उप्रेती, कपकोट(बागेश्वर) द्वंद चल रहा है मन में, आखिर रावण की क्या गलती थी? उसने तो केवल वही किया, जो एक बहना कि विनती थी। राम को मिला वनवास, मात-पिता की आज्ञा थी। संग गए लक्ष्मण और सीता, तो लंका कैसे दोषी थी? रावण की बहिन थी सूर्पनखा, करता था उससे स्नेह अथाह। जब […]

ये है पिता की छत्रछाया

जबसे होश संभाला, अपने सन्मुख है पाया। क्या है तुम्हें बतलाऊँ? ये है पिता की छत्रछाया।। पूछो उनसे जरा उनका हाल, जिनके पिता को उठा ले गया काल। सोचकर कांप उठती रूह मेरी, विनती है प्रभु न करना बेहाल।। जिम्मेदारियों ने यूँ भगाया है। पर न कभी हमें जताया है। देकर सदा ही सुख की […]