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बिन तलाशे हमें हर खुशी चाहिए

-गीता उप्रेती बिन तलाशे हमें हर खुशी चाहिए, कशमकश के बिना जिंदगी चाहिए। चाहते हो अगर जिंदगी में सुकूँ, हसरतों में भी थोड़ी कमी चाहिए। शोर अंदर का जीने न देता हमें, और वो कहते क्यों ख़ामशी चाहिए। उनको नाराज़गी ग़र दिखानी है तो, लहज़े में बेरुख़ी होनी भी चाहिए। समझेंगे वरना अपने ही पत्थर […]

जिन्दगी

-मोहन जोशी, दर्शानी , गरुड़, बागेश्वर,उत्तराखण्ड। साथियों गम और खुशियों से भरी है जिन्दगी इक किराये की समझ लो कोठरी है जिन्दगी।। गम के मौजों में गज़ल है गीत है गर गा सको। प्यार की महफिल में दिलकश शायरी है जिन्दगी। ले कहाँ जाओगे दौलत जो कमाई थी बहुत अंततः यारों कफ़न की सहचरी है […]

कबूल करो

परवाज़ नहीं, आवाज़ नहीं न साज़ यहाँ.. जाग मछँदर गोरख आया, तबला तब भी बोला था महफ़िल सूनी, जोगी बोला, भूमण्डल तब डोला था.. कबूल करो.. राजघराने छूट गये, न राजघमण्ड छूट रहा काल-खंड कई बीत गए, न राजधरम कुछ याद रहा.. कबूल करो… नाद-ब्रह्म सब छूट गए, धर्म पिपासा कहीं नहीं वो बैभव सारे […]