-अंजलि, हल्द्वानी
सर्दी का मौसम
उनके लिए सुहाना है।
जिनके पास रहने को,
आशियाना है।
उनसे पूछो जिनका,
कोई ना ठिकाना है।
अगेठी भी सुलभ नहीं,
उन्हें सड़क किनारे बस,
यूहीं ही सो जाना है।
घरों से निकलो बहार,
उन्हें भी कम्बल,
उपलब्ध करना है।
सर्दी का मौसम,
उनके लिए सुहाना है।
जिनके पास रहने को
आशियाना है।
ठन्डी में वो लोग
केसे सोते होगें।
जिनके पास कंबल ना
सिराहना है।
आओं ये रिश्ता हम,
हम सब ने मिलकर निभाना है।
इन लोगों को चाय,
कोफी, गर्म कम्बल दिलाना है।
सर्दी का मौसम उनके
लिए सुहाना है।
जिनके पास रहने को आशियाना
हैं।