-माया नवीन जोशी
खटीमा, जिला-उधमसिंह नगर, उत्तराखंड
सुंदर-सुकुमार सा वह,
लिए कंधों में छोटा झोला।
इतराते इठलाते बालक से
एक रोज पिता यह बोला
कि राशि, एक शिक्षा-शराब की
तो फल दोनों का कैसे अलग-अलग ?
शिक्षा ले जाती जब शीर्ष पर
तो शराब की जगाई कैसे अलख?
बोला सहसा ही वह सुकुमार
पहले पढ़ने पड़ते पव्वा-अद्धा,
अब बिन घोटे पी जाऊंगा।
छोड़ चिंता स्कूल ड्रेस व
पुस्तक-फीस की,
चिथड़ों में ही सो जाऊंगा।
सपना था रोज आपका
मैं देश सेवा का अपनाऊं भाव
इसकी फिक्र नहीं मुझे अब
मैं भी राजस्व बढ़ाऊँगा।
पिऊंगा भले में देशी
बात अंग्रेजी में कर पाऊंगा।
चढ़कर मैं सफलता की सीढ़ी
शिक्षितों को नीचे कर जाऊंगा।
चापलूसी की ओढ़कर शॉल, मैं
गुणगान सत्ता का गाऊंगा।
शिक्षित हो गया हर नागरिक अगर
तो रैलियों में भीड़ कौन लगाएगा?
भूलकर अपने कर्म का मर्म
जयकारे कौन लगाएगा?