October 11, 2020 0Comment

दत्तात्रेय शिव मंदिर में अनलाॅक कवि सम्मेलन में बही कविता की रसधार

हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से रविवार को नैनी विहार स्थित दत्तात्रेय शिव मंदिर में अनलाॅक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने लाॅकडाउन, कोरोना, महंगाई, देशप्रेम आदि विषयों पर खूब रसधार बहाई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परेशयति महाराज ने कहा कि लाॅकडाउन में भी कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज का कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए मनोबल बनाए रखा। साहित्य समाज को समृद्ध बनाता है।
सबसे पहले भवाली से अंजलि ने फोन पर अपनी कविता प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में हास्य कवि वेदप्रकाश अंकुर ने सुनाया- आलू पचपन, टमाटर साठ में बिक रहा है, महंगाई का सीधा असर हाट मेें दिख रहा है। पुष्पलता जोशी पुष्पांजलि ने सुनाया- पास होकर भी दूर रहना है, मचलते बचपन को अब रोक लेना है। न जाने कौन से यह कर्मों का फल है, हर रोज जिंदगी मिल गई है, बस सोचना है, बस सोचना है।


रूद्रपुर से आईं आशा बाजपेई ने सुनाया-राम-राम जी कहते जाओ, फिर तुम मोक्ष धाम पा जाओ, सत्य शाश्वत राम नाम है। शारदा पसरीचा नरूला ने सुनाया-सांसों की पूंजी घटी जा रही है। जीवन की नदिया बही जा रही है। न मेरा है न तेरा है कुछ भी यहां पर
जीवन की इमारत ढही जा रही है।
खटीमा से आए रामरतन यादव ने सुनाया-भटका हुआ पथिक हूं, मैं राह ढूंढता हूं। इक दिल में अपनी खातिर बस चाह ढूंढता हूं।
आकाश प्र्रभाकर ने सुनाया-ऐसे वीर सपूतों को पाकर के धन्य धरा, व्यापक ये गूंज रहा आसमान धन्य है।
ममता परगाई ने कहा-दफन कर दी वो चीखें अब उसने मोहब्बत को उसने यहां हवस बनते देखा है।
बीना सजवान ने सुनाया-सियासत हमारी सो रही है, असुरक्षित बेटियां हो रही हैं। जया कुंवर ने सुनाया-क्यूंकि मैं देखती हूं, मेरी उस मां को जो मेरी बेस्ट फ्रेंड बनना चाहती है।
सितारगंज से निशांत गहतोड़ी ने सुनाया-शिशु पृष्ठ भाग पर बांध लिया, बलगाएं सांधी दांतों में, फिर घोड़े पर होकर सवार, लिए खड़ग निज हाथों में।


दीपांश कुंवर ने सुनाया-बजी घंटी बैल के गले के हार की, सुबह हो गई है जागो अपने गांव की।
अक्षर एकांत ने सुनाया-पद पर ही गर शूल बिछे थे, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं।
सितारगंज से रितेश जिंदल ने सुनाया-वक्त की नुमाइश में, मैंने रिश्ते बिछा रखे हैं।
हरिपाल कश्यप ने सुनाया-फौजी सीमा पर रहकर दुश्मन को मार भगाते हैं, उनको हम प्रणाम करें उनके गीत हम गाते हैं। डाॅ. गुंजन जोशी, मयंक कुमार और देवेश पांडेय चिन्मय ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम में उत्तरांचल दीप अखबार के जीएम श्री नागेश दुबे ने सभी कवियों की रचनाओं की सराहना की।

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