July 31, 2021 2Comments

बरसात में हर नदी बहुत फुल हो रही है


सावन मास में कवि सम्मेलन का आयोजन

हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से सावन मास के उपलक्ष्य में शुक्रवार को महादेवगिरि संस्कृत महाविद्यालय देवलचैड़ में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियों ने महंगाई, कोरोना, सावन, प्रेम आदि पर शानदार रचनाएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा, अंकुर मोटर्स के प्रबंधक सुनील सैनी, गुरूजी उत्तराखंडी के डायरेक्टर डाॅ दीपक पंत, सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डाॅ नवीन चंद्र बेलवाल, महादेवगिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डाॅ नवीन चंद्र जोशी, नागेश दुबे ने किया।


कवि सम्मेलन में डाॅ नवीन चंद्र जोशी ने कहा-साहब का संतरी भी शेर है, क्योंकि मिलाने का वो कमीशन खाता है। हास्य कवि वेद प्रकाश अंकुर ने सुनाया-बरसात में हर नदी बहुत फुल हो रही है, बिजली भी आजकल बहुत गुल हो रही है। गदरपुर से आए बल्देव अरोरा ने सुनाया-सत्ता के मद में चूर बैठे धृतराष्टृ आज सिंहासन है, चैराहों पर खड़ी द्रोपदी चारों ओर दुशासन है। सुबोध शर्मा शेरकोटी ने कहा-आओ हिल मिल धूम मचाएं, मधुरिम गायन सावन में गाएं। मोहन चंद्र जोशी ने कहा-रैन चैन कहां तक शाम एक शहर। मनीष पांडेय आशिक ने कहा-झील सी आंखें, चांद सा चेहरा जादू जैसी लड़की हो। दिपांशु कुंवर ने कहा-जब से आई सड़क मेरे गांव में, गांव तब से नीं मेरे गांव में। किरन पंत वर्तिका ने कहा-साधना, आराधना, उपासना है शिव, आधार है उद्वार है, संहार है शिव। खटीमा से आए आकाश प्रभाकर ने कहा-कश्मीर की घाटी का केसर बनना पड़ता है। शत्रु कंपित हो जाए वो तेवर बनना पड़ता है। मयंक कुमार ने कहा-ये महाभारत धर्म युद्व है, धर्म का ये सृजन है। हर्षित पंत ने कहा-खोए दरख्त की छांव में, और नमक लगाते घाव में। पूरन चंद्र भट्ट ने कहा-इस जिंदगी का इतना सा फसाना है, इक रोज का आना था, इक रोज का जाना है। पुष्पलता जोशी पुष्पांजलि ने कहा-हरी भरी धरती की गोद में, मखमली काया हर्षाएं। कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि गौरव त्रिपाठी ने किया।

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gtripathi

2 comments

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आप सभी मित्रों की। इन दिनों आवश्यक कार्य से शहर से बाहर थी इसलिए कार्यक्रम में प्रतिभाग नहीं कर पाई। जिसका मुझे मलाल है।

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  2. बधाई व शुभकामनाएं..

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