-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी
मन में उथल पुथल बहुत है
हर कोने में छाई उदासी है
बाहर-अंदर एक-सी हलचल है
कहने को तन्हाई है।
एक हरेला मन में उगा लूँ
उजास भीतर ही पा लूँ
हुए जिससे दूर बहुत दूर
उस प्रकृति को ह्रदय में बसा लूँ।।
-गंगा सिंह रावत, हल्द्वानी
मन में उथल पुथल बहुत है
हर कोने में छाई उदासी है
बाहर-अंदर एक-सी हलचल है
कहने को तन्हाई है।
एक हरेला मन में उगा लूँ
उजास भीतर ही पा लूँ
हुए जिससे दूर बहुत दूर
उस प्रकृति को ह्रदय में बसा लूँ।।