November 08, 2020 1Comment

कोरोना को ना पास बुलाएं, आओ अब सौगंध ये खाएं


राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित विराट कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां


हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से दीपावली एवं राज्य स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को दिन में 12 बजे से मंगलम मैरिज लाॅन में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने कोरोना काल मेें मनुष्य का हाल, दिवाली कैसे मनाएं, हमारा प्यारा उत्तराखंड जैसे विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि कांग्रेस महासचिव आनंद रावत, वरिष्ठ आप नेता समित टिक्कू, परंपरागत खेल सचिव राहुल सोनकर, कांग्रेस नेता ललित जोशी, बेलवाल भोग के प्रबंधक मुकेश बेलवाल, शिवालिक रेस्टोरेंट के प्रबंधक हरीशचंद्र सुयाल ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया।


हल्द्वानी की पुष्पलता जोशी पुष्पांजलि ने सुनाया-दिल है समुंदर उठती है लहरें, लहरों का गिरना जख्म दे रहे हैं। डा. गुंजन जोशी ने सुनाया-बाबुल तुम्हारी छांव में थी जिंदगी मेरी अभी। डा. भगवती पनेरू ने कहा-कोरोना को ना पास बुलाएं, आओ अब सौगंध ये खाएं। नहीं पटाखे इस बार जलाएं, दिवाली दीपों की मनाएं।
सितारगंज से आए निशांत गहतोड़ी ने कहा-मेरे नजदीक न आना, मैं चुभ जाउंगा। मैं इश्क का कांटा हूं, न गुलाब समझिए।
रानीखेत से आईं संजना जोशी ने सुनाया-निष्कलंकित सीता की नित, होती है कलंकित पावनता, घात बिछाए बैठे शकुनि।
बाल कवयित्री बिपाशा पौड़ियाल ने कहा-महापुरूषों की भूमि जो भारत माता का आंचल है। बुरांश की लाली सा, सुंदर व प्यारा मेरा उत्तरखंड है।


मयंक कुमार ने सुनाया-जिंदगी करवट कभी इधर-कभी उधर मार लेती है। ठोकर लगती है जब-जब मुझे, मेरी मां संभाल लेती है।
शिखा पांडे ने कहा-जग की तोड़कर रस्में करे इजहार मीरा है, कान्हा प्रीत है, इस सत्य का आधार मीरा है।
मनीष पांडे आशिक ने कहा-लबों को चूमकर वो दास्तां सुनाती थी, उसे छूने से मेरी रूह महक जाती थी।
मंथन रस्तोगी ने कहा-मैं जितना ज्यादा खत्म हुआ हूं, उतना ज्यादा बाकी हूं, मुझको कोई उम्मीद नहीं, मैं यार अकेला काफी हूं।
रूद्रपुर से आए शायर डा. सबाहत हुसैन खान ने कहा-वर दे वीणा वादिनी वर दे, कोयल जैसा कंड अता कर वाणी में रस भर दे।
त्रिवेंदर जोशी ने कहा-केवल दो दिन करके देखो ठीक लगेगा, हिंदू मुस्लिम छोड़ के देखो ठीक लगेगा।
ममता परगाई ने कहा-मां रिश्ता कमजोर था क्या, या तेरी ममता का सागर सूख गया था। दीपक पांडेय और धीरज पांडेय ने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं।
कार्यक्रम का संचालन हास्य कवि गौरव त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में समाजसेवी आशा शुक्ला, उत्तरांचल दीप के जीएम नागेश दुबे, एक नई दिशा संस्था के अध्यक्ष विजय पाल, सलीम सिद्दिकी आदि मौजूद थे।

 

Social Share

gtripathi

1 comments

  1. Reply

Write a Reply or Comment