गणतंत्र दिवस पर विराट कवि सम्मेलन में वेद प्रकाश अंकुर और आशा बाजपेयी को सम्मान
हल्द्वानी
गणतंत्र दिवस के अवसर पर हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से रामपुर रोड स्थित मंगलम मैरिज लॉन में एक विराट कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान पूरे कुमाऊं से पहुंचे कवि-कवयित्रियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ हास्य कवि वेद प्रकाश अंकुर को ‘नाज-ए-कलम’ और रुद्रपुर की कवयित्री आशा बाजपेयी को ‘नाज-ए-साहित्य साधना’ सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आप के प्रदेश प्रवक्ता समित टिक्कू, सिंथिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधक प्रविंद्र रौतेला, भाविप के रीजनल सचिव भगवान सहाय, कांग्रेस नेता राहुल सोनकर, जी-किड्स स्कूल के प्रबंधक विवेक वशिष्ठ, नागेश दुबे ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया। पुष्प लता जोशी पुष्पांजलि ने कहा -मां भारती! तेरे चरण में, हम पुष्प अर्पित कर सकें, छूट जाए लोभ और मोह हम ‘तन ‘समर्पण कर सकें। हास्य कवि वेद प्रकाश अंकुर ने कहा-काम उल्टे सीधे कैसे नहीं होंगे आपके, आपको तो बस पैसा और जुगाड़ चाहिए। रुद्रपुर से आईं आशा बाजपेयी ने कहा कि करूँ मैं नाद भरी यही वाणी, लहु से अपने, अमिट काल पर लिखनी माँ मुझको, अमर कहानी रिपु दल दंभ, घटा दे जो….।
राकेश शर्मा ने सुनाया-कुछ पल जीवन में इस तरह से आते हैं…. अपनी याद दिलाकर यादों में यादगार बन जाते हैं…।
ममता परगाई ने सुनाया-भूल कर रहा है तू मेरी सहन शक्ति को आजमा कर, मैं जितनी सौम्य हूं मैं उतनी ही विकराल हूं, और मैं वो काली हूँ जिस के आगे महाकाल झुक गए थे, मैं अब अबला नहीं आज की नारी हूँ। दीपांशु कुंवर ने कहा-डर लगता है ऊंची कुर्सी वालो से। हमको भक्तों और चमचों से डर लगता है। मंथन रस्तोगी ने कहा-जब थी मुझको ज़रूरत, तो तुम ना मिलीं अब कि तुम पास आईं, तो मैं ना मिला। पूजा रजवार ने सुनाया- हम पहाड़ी, हम जहां जहां जाते हैं, हमारा पहाड़ हमारे साथ साथ चलता है।
शिखा पांडेय ने कहा- इस नवीन बाग़ के, आप बाग़बान रहें। मैं महज़ धरा रहूँ, आप आस्मां रहें। भवाली से आईं अंजलि देवी ने कहा-भारत के वीर सपूत, लाखों वीर शहीदों ने अपने लहू से इस धरती को सीचा है। हमने उनसे तिरंगे का सम्मान करना सीखा है। वंदना शर्मा ने सुनाया-मैं गंगा का गान लिखती हूँ , मैं हिमालय को प्रणाम लिखती हूँ।
खटीमा से आए राम रतन यादव ने कहा- अब जागो वीर जवानों तुम, भारत माँ तुम्हें बुलाती है, गोदी में जिसकी तुम सोए, वो माता तुम्हें उठाती है |
खटीमा से आए आकाश प्रभाकर ने कहा-चिंता न खुद की है किन्तु चिंता वतन की, इसलिए देश का तो स्वाभिमान धन्य है। पुतले ना माटी के हैं ना ही गीदड़ों का भेष, दहाड़ते शेरों से ये हिन्दुस्तान धन्य है। रुद्रपुर से आईं शारदा नरूला ने सुनाया- इतिहास सदा गुणगान करेगा मेरे भारत का विश्व सदा आह्वान करेगा मेरे भारत का। रानीखेत से आईं संजना जोशी ने कहा- देश प्रेम को जीते हैं जो सैनिक के यहां महान है। ओंकार हर कण में गूंजे, ऋ षियों का यह धाम है। रोहित केसरवानी ने कहा – भारत देश हमारा है हमको प्राणों से प्यारा है,
यहां की खुशबू यहां की मिट्टी ने ही हमें संवारा है। सितारगंज से आए रितेश जिंदल ने कहा-कोरा कागज़ पूछ रहा था, तुझसे तेरी ही बातें, अक्सर जो तू कहे न सका, खुद के दिल से खुद की बातें। इसके साथ ही लालकुआं से मोहन चंद्र जोशी, आशिक, यशार्थ वर्मा, मयंक कुमार, डा. सबाहत खान ने भी कविता पाठ किया। इस मौके पर रोटी बैंक संस्था के अध्यक्ष तरुण सक्सेना, रक्षित वर्मा, त्रिवेंद्र जोशी, धीरज, सुंदरलाल मदन आदि मौजूद थे।
January 28, 2021
इस सुंदर आयोजन के लिए गौरव जी बहुत बहुत बधाई।।
January 28, 2021
I salute..