-ललित भट्ट, हल्द्वानी
21 जून है दिवस आज कर रहा है विश्व योग,
एक दिन में ही प्रकृति संघ बनाना चाहें संयोग,
थोड़ा संशयी और अचंभित हूं मैं,
एक दिन के ही योग से कैसे भागेंगे रोग।।
नित्य करें जो हम योग व शारीरिक कर्म,
स्वत: ही दूर हो जाएंगे हमारे सारे मर्म,
दौड़ भाग और ध्यान ही तो योग है,
प्रतिदिन करें हम योग तो खिल जाता हमारा चर्म।।
एक दिन के हम योगी सारे,
वर्ष भर योग से वारे-न्यारे,
तभी तो रोग से भरा तन हमारा,
वर्ष भर फिरते मारे-मारे।।