Category: नन्ही कलम

उन पर्वतों से मैंने पूछा

– हिमांशु नेगी उन पर्वतों से मैंने पूछा यह लाल क्यों है तुम्हारी भूमि क्यो ये नीर बह रही लहू से , क्यों यह गगन रूठा है मुझसे । रूठने की वजह बेशक व कारगिल है जहां पग बड़े उन अनजान के, जो हथियाने आए थे ताज हिंदुस्तान के भगाया उनको ज्ञान से हथियार से […]

बंद करो दहेज प्रथा

-रेनुका आर्या बंद करो दहेजप्रथा, नारी का मत करो व्यापार, स्वयं जिसे कहते तुम लक्ष्मी, क्यों कर रहे फिर उसपर तुम अत्याचार | दौलत के तराजू पर तोल के, छीना तुमने उसका अधिकार, नारी बिन जीवन है सुना, थोड़ा तो करो विचार | कभी संगनी, कभी भगिनी बन, उसने लुटाया तुम पर प्यार, दौलत के […]

अगर न होते हमारे देश के ये वीर जवान

-बिपाषा पौडियाल, हल्द्वानी “अगर न होते हमारे देश के ये वीर जवान, तो सोचो कैसा होता हमारा ये देश महान” अपनी जान की परवाह किये बिना सरहद पर सीना तान खड़े है देखो उन वीरों को जो हमारे देश के लिए दिन रात लडे है उनका भी तो है अपना घर- परिवार उनकी भी तो […]

घर-घर तिरंगा

-अमीशा रावत, निर्मल आश्रम ज्ञान दान अकादमी, ऋषिकेश अखबार के उस पन्ने पर छपा था एक ज्ञापन, घर-घर लगेंगे झंडे, हुई मैं तत्पर इस शुभ अवसर पर। पर क्या! देखा एक निर्बल जन को कहता जो, झंडा तो है मेरे पास पर घर तो हो रहने को विस्मित हो देखा मैंने उसके मुख को। सोचा […]

मेरी प्यारी माँ

-बिपाषा पौडियाल,हल्द्वानी सबसे अलग व सबसे प्यारी मेरी माँ है भोली-भाली मुझे पढाती मुझे लिखाती सबके साथ घुल मिलकर रहना सिखलाती मुझे देखकर वह मुस्काती मुझे दुखी वह देख न पाती अच्छा- अच्छा खाना बनाती सबको खिलाकर खुद बाद मे खाती है मेरी माँ मेरी माँ की तो बात है निराली सबसे अलग व सबसे […]

पिता के बाद

-ललिता मिश्रा, एक्सपोंसियल हाईस्कूल, पुराना बिंदुखत्ता लालकुआं लड़कियां खिलखिलाती हैं तेज धूप में, लड़कियां खिलखिलाती हैं तेज बारिश में लड़कियां हंसती हैं हर मौसम में, लड़कियां पिता के बाद संभालती हैं पिता के पिता से मिली दुकान, लड़कियां वारिस हैं पिता की लड़कियों ने समेट लिया मां को पिता के बाद लड़कियां होती हैं मां […]

होली का त्योहार आया

-ललिता मिश्रा, एक्सपोंसियल हाईस्कूल, बिंदुखत्ता, लालकुआं होली का त्योहार आया, खुशियों की सौगात लाया, रंगों की उड़ान लाया। होली का त्योहार आया, प्यार की गंगा संग में लाया। सबके मन को भाया। होली का त्योहार आया, एक दूजे को रंग में रंगने आया, सब के साथ घुल मिलने को आया।  

हाय कोरोना

-बिपाषा पौडियाल, बीएलएम एकेडमी हल्द्वानी जब कहीं जाने का हो विचार संभल के रहना मेरे यार क्योंकि कोरोना ने किया है बड़ा अत्याचार चारों ओर मचा है हाहाकार क्योंकि कोरोना के साथ महंगाई ने भी मचा रखी है हाहाकार बचत ने कर दिया है बेड़ा पार महंगाई ने भी दिया है स्वर्ग को नर्क गरीबों […]

एक महात्मा वह बालक था

-हितांश कुमार, जवाहर नवोदय विद्यालय रूद्रपुर उधमसिंह नगर पोरबंदर की भूमि में जन्मा, एक महात्मा वह बालक था। जिसने भारत को , सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। अंग्रेजों से ले ली उसने आजादी, शस्त्र को हाथ ना लगाया था। सफेद वस्त्र पहनकर चलने वाला, वह बापू कहलाया था। एक लाठी के सहारे चलकर, उसने […]

पोषण और कुपोषण

– आदित्य कुमार, पुराना बिंदुखत्ता दो रोटी को तरसते है, बात क्या बतायें पोषण का? बच्चे शिकार क्यों न हो? माँ थी शिकार कुपोषण का। पालक चहा कर भी , कुछ नहीं कर पाता है, भूख प्यास सह कर , दो पैसे ही ला पाता है। होती है शिकार औरत जालसाजी और शोषण का बच्चे […]