Category: नन्ही कलम

क्यों बचपन गुमशुदा है

-कविता अग्निहोत्री, रूद्रपुर क्यों बचपन गुमशुदा है, कुछ मासूमों को सर्दी में दिन की चिंता है। और गर्मी में हवा की, वो चोट खाकर भी जी लेंगे, पर कमी है दवा की। माथे पर रेखा दिख रही चिंता की, क्यों बचकानी हरकतें जुदा हैं। इतनी भी उम्र नहीं हुई, बस बचपन गुमशुदा है। उड़ती चिड़िया […]

रोशनी फिर जगमग आई है

-प्रतिष्ठा पांडे अंधकार अब नष्ट हुआ रोशनी फिर जगमग आई है सुख और समृद्धि की बहार हर घर में छाई है बना कर दिए मिट्टी के गरीबों ने आस लगाई है मेरी मेहनत खरीदेंगे लोग सब ने आस सजाई है हजारों की लड़ियां लगाकर सबने शान बढ़ाई है पर गरीबों के दीयों की लो हमने […]

वे दिन भी क्या दिन थे

-प्रतिष्ठा पांडे,रूद्रपुर, उधमसिंह नगर वे दिन भी क्या दिन थे यह सोच सोच कर रोते हैं आए दिन स्कूल के सपने आते हैं जब हम सोते हैं दोस्तों के साथ मस्ती से जब हो जाती थी लड़ाई पर आजकल रगड़ कर धोनी पड़ती है कढ़ाई लंच टाइम में गोल घूम कर हम सब है जाते […]

मार्गदर्शक शिक्षक अध्यापक गुरु

-प्रतिष्ठा पांडे, रूद्रपुर, उधमसिंह नगर मार्गदर्शक शिक्षक अध्यापक गुरु इन्हीं ने की थी मेरी जिंदगी शुरु जिंदा थी और देती थी सब और सोचती थी दुनिया देखूंगी कब माता-पिता का मेरे पास था साथ पर आगे बढ़ने के लिए चाहिए था एक हाथ जब मैंने छोड़ी थी अपनी सारी आस तब मेरे गुरु आए मेरे […]

शक्ति का नाम ही नारी है

-कोमल भट्ट कोमल है, कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है… जीवन जग को देने वाली , मौत भी तुझसे हारी है | माना की मर्द ने किया बहुत कुछ पर तुझसे ही तो सब कुछ पाया है, जग- जननी का रूप है तू तू ही तो भगवान का साया है| कल्याणी है […]

हिन्दू मास

-रेनुका आर्या, दौलतपुर गौलापार हल्द्वानी प्रथम महीना चैत से गिन राम जन्म का जिसमे दिन || द्वितीय माह आया वैशाख | वैशाखी पंचनद की साख || ज्येष्ठ मास को जान तीसरा | अब तो जाड़ा सबको बिसरा || चौथा मास आया आषाढ़ | नदियों में आती है बाढ़ || पांचवे सावन घेरे बदरी | झूला […]

पहले हंसा करता था मैं

-हर्षित जोशी, हल्द्वानी पहले हंसा करता था मैं , अब जिंदगी हंस रही है मुझे पर , चांदनी रात में चांद को , चंदा मामा कहता था मैं , जब मालूम हुआ मुझे , जिस चांद को चंदा मामा कहता हु मै , ना आएगा वो मुझसे मिलने वो, न लायेगा खिलौने मेरे लिए , […]

गुरु-महिमा

– अमीशा रावत 1)गुरु गीता की वाणी है, गायी गयी थी जो समरधरा में; गुरु मधुकर का रस है, जो नन्हे भौंरे का आसरा है; गुरु वसंत का सुहावना मौसम है, जो मदनकलियों का सहारा है। 2)दूर करे जो अज्ञान का साया, गुरु ज्ञान का है वो जगमगाता दीपक; गुरु केशव का पांचजन्य, जो विजयतरंग […]

जुर्म

-शारदा गुप्ता रिश्वत लिया मत करो, जुर्म किया मत करो। करके जुर्म जाओगे जेल, फिर करोगे कितनी भी कोशिश हर अच्छे काम में होगे फेल। जुर्म क्या तुमने एक, आरोप लगेंगे अनेक। गर लग गई जुर्म की आदत। बुरे काम से कर न पाओगे खुद की हिफाजत। हासिल होगा ना कुछ जुर्म से, स्वर्ग नसीब […]

उन पर्वतों से मैंने पूछा

– हिमांशु नेगी उन पर्वतों से मैंने पूछा यह लाल क्यों है तुम्हारी भूमि क्यो ये नीर बह रही लहू से , क्यों यह गगन रूठा है मुझसे । रूठने की वजह बेशक व कारगिल है जहां पग बड़े उन अनजान के, जो हथियाने आए थे ताज हिंदुस्तान के भगाया उनको ज्ञान से हथियार से […]