-प्राक्षी ओझा
मैं अब उड़ना चाहती हूँ |
अपने अरमानों को एक नया रूप देना चाहती हूँ,
सिर्फ एक अच्छी ज़िंदगी जीना चाहती हूँ,
मैं अब उड़ना चाहती हूँ |
क्या लड़की होना कोई गुनाह है?
या लड़की एक खिलौना है?
लड़की पर लगी बेड़ियों को ,
मैं अब तोड़ना चाहती हूँ |
मैं अब उड़ना चाहती हूँ |
आखिर क्यों मुझ पर भेद – भाव किया जाता है?
आखिर क्यों ज़ुबाँ पर चुप्पी लाने पर ही मुझे सीधा कहा जाता है?
सभी जंजीरों को मैं तोड़ना चाहती हूँ ,
मैं अब उड़ना चाहती हूँ |
पहुँची हूँ आज इस मुकाम में
क्या ज़िंदगी नहीं है मेरे हाथ में?
क्यों बाँध दिये जाते पत्थर मेरे पाँव में?
समाज की इस सोच को मैं बदलना चाहती हूँ,
मैं अब उड़ना चाहती हूँ।
लड़की हूँ पर लड़के की तरह जीना चाहती हूँ ,
सर नीचे कर नहीं चलना चाहती हूँ,
लोगों के कमज़ोर इरादों को तोड़ना चाहती हूँ,
मैं अब उड़ना चाहती हूँ |
मैं भी अब उड़ना चाहती हूँ |
September 10, 2023
great lines ❤️