-हर्षित काल्पनिक
चलते-चलते मीत बने
चलते-चलते गीत बने
अल्फ़ाज थे चंद एक दिन
चले और संगीत बने।।
चलते-चलते…
हार अनेकों मिली डगर में
डंटे रहे हर एक सफर में
देखा,सीखा और चले फिर
चलते-चलते जीत बने।।
चलते-चलते…
अनजानी राहों पर हमको
मिले लोग दीवाने कितने
दिल ने चुना एक हमसफ़र
चलते-चलते प्रीत बने।।
चलते-चलते…
अपमान कहीं भी सहते ना थे
कह देते सब कुछ रहते ना थे
गर्मजोश थे हम भी पहले
चलते-चलते तीत बने।।
चलते-चलते…
वर्तमान का सुख दुख गाया
जस का तस सब हाल बताया
राही थे हम भी वर्तमान के
चलते-चले अतीत बने।।
चलते-चलते…