-बीएस गौनिया
ये सावन तुम्हारे
हमारे लिए हैं ?
या यूँ ही वहम
इसे मैं समझ लूँ…
बोलो…
बारिस की छुवन
लगे तन-मन अगन
जो तुम ही नहीं
तो ये कैसी लगन…
बोलो…
ये सावन तुम्हारे…
ये कारी घटा
लागे अद्भुत छटा
मन क्यों मयूरा
नाचे पंख हटा…
बोलो…
ये सावन तुम्हारे…
ये प्यासा सावन
कहूं न मनभावन
तुम्हारी छवि बिन
न सावन ये पावन…
बोलो…
ये सावन तुम्हारे…
ये झूले भी सारे
यूँ राहें निहारे
जैसे चितवन चकोर
तुम्हे चंदा पुकारे…
बोलो…
ये सावन तुम्हारे…