भोजपुरी व्यंग्य, अरविंद विद्रोही, जमशेदपुर, झारखंड
अपना देश में तंत्र -मंत्र के भरमार बा । मारण मंत्र, वशीकरण मंत्र, उच्चाटन मंत्र, अघोरी तंत्र – मंत्र,
एक तंत्र में शामिल बा आपन लुकार तत्र । लुकार
तंत्र बा त एकर महंत होखे चाहिl हर तंत्र के नामी गिरामी महंत रहे लोग । आ जो महंती परंपरा कायम बाl हर महंत के आश्रम के आपन अलग-अलग रुतबा रहल बाl महंत लोगन के आपन अलग तरह के ढोंग रहलl एक- एक ढोंगी मंथन के पीछे लोग आंख मूंद के खाड रहीl महान संत के प्रवचन सुने खातिर भेड़िया धसान होत चली ।. एक प्रवचन में लाखन ना करोड़ों रुपया खर्च होई । महंत के चेला खाटी शुद्ध भोजन खा खा के गदहा जइसे मोटा के अईठत चली हन । मंहथन के दिन के चरित्र कुछ अउर आ रात्रि के चरित्र कुछअउर । दिन के चरित्रआ रात चरित्र में आकाश- पाताल के अंतर रहल बा । जनलोकप्रियता के घटिया रूप रात में देखें के मिले ला,
गांजा, भांग, दारु- शराब के साथ बिछावन गरम राखे के जुगाड़ भी रहेला, स्वर्ग के सुख से कम सुख कुछ महंत लोगना बटोरत रहे लोग । कमरी ओढ़ के घी पिए वालन के कमी ना रहल बा । कुछ लोग के भेद खुला के बाद थू थू हो रहल बाl राम रहीम आ आशाराम बापू
जेल में ठूसा गईल बाडे ।
जब एजा लोकतंत्र में लूकर तंत्र घुसल बा त
एक करो महंत होखे के नू चहि? बाकी ए महंत के खोजी के ? आसाराम बापूआ राम रहीम से कई गुना
ए महंत के शिष्य बाड़ेl सीबीआई के बापो नईखन खोज शकत । जे महंत के नम ली ओ कर मुंह नोचा
जाई।ऊ जेल मे ठूसा जाई । लोकतंत्र में जेके हूं मर्यादा के उल्लंघन करी ओ कर खैरियत ना बा ।
लुकार तंत्र के महंत के विषय में जाने सुने खातिर कुछ और समय चाही l प्रजातंत्र जब लुका तंत्र में बदल गईल बा त लुकार तंत्र के चरित्र ढूंढने में समय लागी । जेजे कमरी ओढ़ के घी पी रहल बा । एक दिन ना एक दिन भेद खुल कर रही तब महंत जी अपने आप आश्रम से बाहर आजहिअन। आ चेला लोग मुंह ताकत रजाई ।