बचपन की भोर बीत चुकी है, अब तो बस जीवन की दोपहर चारों तरफ बिखरी पड़ी है। घर के सब कार्य करने के पश्चात मुझे ताज़ी हवा में कुछ देर रहना बहुत पसंद है जैसे ही शाम हुई मेरा मन बाहर जाने के लिए उछल कूद करने लगा। मैंने जल्दी जल्दी सभी कार्य पूर्ण किए कि तभी बेटे ने आवाज़ दी,”मम्मी मुझे अपने फ्रेंड के घर जाना है” मैंने कहा चलो मैं तुम्हें उसके घर छोड़ देती हूं।
हम कार्तिक के घर पहुंच गए, कार्तिक मेरे बेटे के मित्र का नाम है। एकाएक मेरी दृष्टि उसके घर की क्यारी पर पड़ी ऐसा लगा जैसे मै बहुत दिनों से जिसे ढूंढ रही थी वो मिल गया है, मुझे नहीं पता खजाना हाथ लग ने पर कैसी प्रसन्नता होती है लेकिन वो किसी खजाने के मिलने जैसा क्षण था।मुझे लगा जैसे वह मेरे बचपन का साथी हो जो मुझे देखकर मुस्कुरा रहा हो और पूछ रहा हो, कैसी हो? वही रंग , वही आकार हवा के झोंके से हिलकर शांत खड़ा था मेरा प्रिय गुलामास का पेड़।
आजकल घरों में गुलामास का पौधा कम ही दिखाई देता है लोग गुलाब और कैकटस लगाना ज्यादा पसंद करते हैं। मेरे बचपन की खूबसूरत यादों में एक चित्र गुलामास के पौधे का भी है। मुझे याद है मेरा घर पूरा पक्का बना हुआ था और मैं चाहती थी कि उसमें एक क्यारी हो जिसमें मैं सुंदर पौधे लगा सकूं । मेरी ये ख्वाहिश पूरी ना हो सकी लेकिन मैंने गमले में कुछ पौधे लगा रखे थे । गुलाब, दसबजिया और मनीप्लांट मेरे घर में लगे हुए थे। मेरा बालमन एक और पौधे के लिए ललचाने लगा था जो कि पड़ोस के रस्तोगी अंकल के घर में था। मैं रोज उस छोटे पौधे को देखा करती थी गुलाबी फूल आते थे गुलामास के पेड़ पर। वैसे गुलामास कई रंगों का होता है जैसे गुलाबी, सफ़ेद, पीला। मुझे गहरा गुलाबी गुलामास का फ़ूल पसंद है। मैं घर में रहने वाली बूढ़ी दादी से पूछा करती थी दादी मै ये पेड़ ले जा सकती हूं वो कहती थी ये पेड़ तो बहुत बड़ा है जब इसके बीज बनेंगे तब वो ले जाना और गमले में मिट्टी में दबा देना उसमे से पेड़ निकलेगा।
अब मुझे गुला मास के बीज का इंतजार रहने लगा मैं रोज शाम को देखने जाती कि बीज पका या नहीं। गुलामास के बीज काले रंग के होते हैं जो देखने में कालीमिर्च जैसे लगते हैं।दादी कहती थी इसके पत्ते अगर चोट पर बांध लो तो चोट जल्दी ठीक हो जाती है। मैं दादी की बात सुनकर हंसती थी और कहती थी दादी चोट तो दवाई से ठीक होती है हमें बेवकूफ मत बनाओ। गुलामास के पेड़ दादी के आंगन की शोभा थे शाम को ढेर सारी गौरैया वहां आया करती थी और मैं उन्हें पकड़ने के लिए दौड़ा करती थी। कोई भी गौरैया पकड़ में नहीं आती थी सब उड़ जाती थी और मैं उदास हो जाती थी। आखिरकार एक दिन गुलामास के बीज पक गए और मैं उन्हें घर ले आयी उस दिन मेरी खुशी आसमान चूम रही थी मैं सोचने लगी अब तो गुलामास का फ़ूल हमारे घर में भी खिलेगा। मैंने बीज को मिट्टी में दवा दिया अब मैं निश्चिंत थी कि अब कुछ दिनों में मुझे सुंदर फूल दिखाई देने लगेंगे। शायद गुलामास के फूल देखना मेरी किस्मत में नहीं था मुझे बताया गया इस रविवार हम लोग बरेली जा रहें हमेशा के लिए।मैंने पूछा क्यों? मम्मी ने बताया कि पापा का ट्रांसफर हो गया है।हम कुछ दिनों बाद बरेली आ गए और पीछे छूट गया वो छोटा सा पौधा लगाने का सपना क्योंकि मम्मी ने सख्ती से मना कर दिया था कि हम गमले नहीं ले जाएंगे। वक्त के साथ मै भी अध्ययन में व्यस्त हो गई ।बचपन की वो याद जो धुंधली ही चुकी थी आज गुलामास के पौधे को देखकर पुनः जीवित हो गई । उसे देखकर ऐसा लगा जैसे वह मुझसे कह रहा हो मुझे अपने साथ ले चलो।
-अर्चना मिश्रा, बरेली।
April 1, 2018
ओह अपने घर मे खिले गुलामास के फूल मुझे पीलीभीत के बचपन की याद दिलाते हैं
July 23, 2021
Mere yha pr abhi bhi hai gulamas ke phool. Bade pyaare lagte hai
September 9, 2023
Reminds me of my childhood as well. In fact, came to your page, while searching about this flower. My story is somewhat similar to yours.