जब सब साथ छोङ जाए
तो मेरे साथ रहने वाली तन्हाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
दूसरों के लिए हमेशा तत्पर रहने वाली
मेरे अंदर छुपी मेरी अच्छाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
दुनिया की ठोकरों से गिरने पर
मेरे जख्मों की दवाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
भटक जाती हूँ जब इस दुनिया की चकाचौंध में
तब मुझे सही राह दिखाने वाली मेरी दियासलाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
किसी के डराने पर कभी न डरने वाली
मेरे अंदर छुपी मेरी सच्चाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
हर वक़्त लोगों की बुरी नजरे हैं मुझमें
वो मुझे उनसे बचाने वाली चार दिवारी हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
खोने का जिसके हरपल डर सा रहता हैं
हाँ मेरी वो वही अनमोल कमाई हैं
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
हाँ मेरे पिता मेरी परछाई है
-महिमा जोशी, डीएसबी कैंपस नैनीताल
June 10, 2020
Bhut Sundar kavita aapki