July 15, 2019 0Comment

रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई

वर्षा आई, वर्षा आई।
रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई।

घने काले बादल आए,
उमड़-घुमड़ कर नभ पर छाए।
मोर नाचने लगे मस्त हो,
मेढ़क ने भी गीत सुनाए।

नभ पर बिजली लगी चमकने,
सूखी धरती लगी महकने।
रंग-बिरंगी नाव चल पड़ी,
चंचल-सी लहरों पर बहनें।

-स्मृति राणा, कक्षा पांच
जय अरिहंत इंटरनेशनल

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gtripathi

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