वर्षा आई, वर्षा आई।
रिमझिम-रिमझिम वर्षा आई।
घने काले बादल आए,
उमड़-घुमड़ कर नभ पर छाए।
मोर नाचने लगे मस्त हो,
मेढ़क ने भी गीत सुनाए।
नभ पर बिजली लगी चमकने,
सूखी धरती लगी महकने।
रंग-बिरंगी नाव चल पड़ी,
चंचल-सी लहरों पर बहनें।
-स्मृति राणा, कक्षा पांच
जय अरिहंत इंटरनेशनल