नन्हें क़दमों से जब घर में रखा था मैने कदम
पापा की आंखे भी तब हो गई थी नम
उठा कर गोदी में उन्होंने बेहद प्यार जताया था
बेटी से बेटे तक का दर्जा उन्होंने मुझे दिलाया था।
काटो भरी राहों में फूलों को सजाया था,
पिता ने मेहनत कर मुझे आगे पढ़ाया था।
गुस्से में भी वो बेहद प्यार जताते थे,
मेरे बिन बोले भी मेरी बात समझ जाते थे।
बेटियां पराई होती है कहा था सबने,
पर पापा ने तो मुझे घर की लक्ष्मी बताया था।
वो कहते है अक्सर शुभ है तेरे कदम मेरी ज़िन्दगी में,
पहली बार पापा बोल कर तूने मुझे धनवान बनाया था।
आज जो कुछ भी हूं, पापा ने ही बनाया है,
मां ने जन्म ज़रूर दिया है, मगर जीना पापा ने सिखाया है।
बेहद मजबूत शक्षियत है पापा, जिन्होंने कभी झुकना नहीं सिखाया।
भगवान से और क्या मांगू इस ज़िन्दगी में
मेरे लिए तो उन्होंने मेरे पापा को बनाया है।
-धृति पंत, बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड साइंसेज ( भीमताल)
June 11, 2020
Wow❤❤… This is gonna reach more heights❤❤❤❤ .. God bless you❤
June 12, 2020
Thank you soo much broo…❣️
June 11, 2020
Good job,really like it.