ना समझो बेटी भार,
है ये सृष्टि का आधार,
देके शिक्षा हथियार ,
जीवन बचा इ ये।
खुशियों के भरो रंग, दीजिए नई तरंग,
पढ़ा इन्हे बेटों सम,
गौरव दिलाइए।
मानो ना इन्हें पराई,
लोगों से करो लड़ाई,
सुन लो पुकार अब,
रीत ये चलाइए।
जिनके हैं मन काले,
नारी बस देह लागे,
ऐसे दुराचारी अब,
सूली पे चढ़ा इये।
-अर्चना मिश्रा,बरेली।
September 21, 2017
वाह
September 21, 2017
Wahhhh