थोड़ा रूक जाओ, मना लेंगे साल नया
अभी समय है, पुराना गया कहां
मौसम का मिजाज बदलने दो
मनाएंगे मिलकर खुशियां
नया सा खिलने दो चमन
आने दो फूलों पर तितलियां।
क्यों आधी रात में आहे भरकर
हाथों में लिए जाम
तड़फते से अकड़ते से नशे में क्यूं हो परेशान
आना थोड़ा रूककर सूर्योदय के साथ
मनाएंगे थाल में हल्दी कुमकुम के साथ
थोड़े फूल होंगे थोड़ी सी मिठाई
आप होंगे, हम होंगे और होगी चाची ताई
प्रकृति की छटा देख मन खुश हो जाएगा
देखना तभी हमारा नया साल आ जाएगा।
-वंदना सिंह, रूद्रपुर
January 02, 2018
1Comment
नया साल
Tags: rudrapur, vandana singh
January 3, 2018
बहुत बढ़िया कविता लिखी है