June 11, 2020 13Comments

देखा है मैंने एक फरिश्ता मेरे पिता के रूप में

मुझे छांव में रखा,
खुद जलते रहे धूप में
हां देखा है मैंने एक फरिश्ता
मेरे पिता के रूप में,

प्रेम के सागर से पूरे संसार को सींचा है,
वो मेरा संसार रूपी एक बगीचा है
मुझे छाता ओढ़ाकर, खुद भीगे हैं वो बरसात में
जो खराब हो तबियत मेरी, तो जागे हैं वो
पूरी रात में,

मुझे हर कठिनाई, हर पीड़ा से बचाया है।
मेरे लिए हर कांटे को उन्होंने फूल बनाया है।
मुझे हंसाने के लिए खुद को खिलौना बनाया है,
संघर्ष की आंधियों में खुद को हौसले की
दीवार बनाया है।

हमारा पेट भरकर उन्होंने खुद की भूख मिटाई है,
अपने खून पसीने से हमारी खुशियों की लहर बहाई है।
हमारे मनोरंजन का वो एक बड़ा सा पिटारा है,
जब भी हमें नींद आए तो उनका सीना एक सहारा है।

दर्दों और जख्मों को अपने अंदर समाया,
हमारे लिए खुशियों की मूरत बन आया,
बाहर से सख्ती, भीतर नरमी की मूरत,
धरती पर भगवान लिए पिता की सूरत।

वह मित्र है, वह सखा है, वह प्रिय है वह दुआ है,
मेरे पिता, मेरी परछाईं, मेरी आत्मा और खुदा है।

-मिताली पांडे, हरमन माइनर स्कूल भीमताल

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gtripathi

13 comments

  1. Wow mitali
    Bhut sundar
    All the very best

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    1. good job mitali v. Nice line keep it up

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      1. Amazing…. keep shining mona✨

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    2. Thank you♥️♥️

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    3. Beautiful expressions

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  2. Really appreciable amazing

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    1. Bht khub ❤

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    2. Thank you diiiii

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  3. Miss Mitali Pandey ur light and shadow of ur father. Keep it up.aapko humara .

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    1. Amazing❤️. Keep it up

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  4. Very nice

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    1. Thank you mamaji♥️

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  5. Beautifully written !!

    Keep it up !!
    Great going !

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