मुझे छांव में रखा,
खुद जलते रहे धूप में
हां देखा है मैंने एक फरिश्ता
मेरे पिता के रूप में,
प्रेम के सागर से पूरे संसार को सींचा है,
वो मेरा संसार रूपी एक बगीचा है
मुझे छाता ओढ़ाकर, खुद भीगे हैं वो बरसात में
जो खराब हो तबियत मेरी, तो जागे हैं वो
पूरी रात में,
मुझे हर कठिनाई, हर पीड़ा से बचाया है।
मेरे लिए हर कांटे को उन्होंने फूल बनाया है।
मुझे हंसाने के लिए खुद को खिलौना बनाया है,
संघर्ष की आंधियों में खुद को हौसले की
दीवार बनाया है।
हमारा पेट भरकर उन्होंने खुद की भूख मिटाई है,
अपने खून पसीने से हमारी खुशियों की लहर बहाई है।
हमारे मनोरंजन का वो एक बड़ा सा पिटारा है,
जब भी हमें नींद आए तो उनका सीना एक सहारा है।
दर्दों और जख्मों को अपने अंदर समाया,
हमारे लिए खुशियों की मूरत बन आया,
बाहर से सख्ती, भीतर नरमी की मूरत,
धरती पर भगवान लिए पिता की सूरत।
वह मित्र है, वह सखा है, वह प्रिय है वह दुआ है,
मेरे पिता, मेरी परछाईं, मेरी आत्मा और खुदा है।
-मिताली पांडे, हरमन माइनर स्कूल भीमताल
June 11, 2020
Wow mitali
Bhut sundar
All the very best
June 11, 2020
good job mitali v. Nice line keep it up
June 12, 2020
Amazing…. keep shining mona✨
June 11, 2020
Thank you♥️♥️
June 12, 2020
Beautiful expressions
June 11, 2020
Really appreciable amazing
June 11, 2020
Bht khub ❤
June 11, 2020
Thank you diiiii
June 11, 2020
Miss Mitali Pandey ur light and shadow of ur father. Keep it up.aapko humara .
June 11, 2020
Amazing❤️. Keep it up
June 11, 2020
Very nice
June 11, 2020
Thank you mamaji♥️
June 11, 2020
Beautifully written !!
Keep it up !!
Great going !