क्या लिखूं पिता के बारे में,
शब्दों में बयां कर सकती नहीं,
मां ज्योति तो पिता दीपक हैं,
पिता की यादें धुंधली हो सकती नहीं,
मां की ममता पिता का प्यार,
पिता सा दुलार कोई कर सकता नहीं।
मां छाया तो पिता वटवृक्ष है,
पिता जैसा महारथी कोई हो सकता नहीं,
मां नैया तो पिता पतवार हैं, खेवैया हैं,
मैं पिता के प्रेम को कभी आंक सकती नहीं,
मां शब्द तो पिता शब्दकोश हैं,
पिता के बगैर बच्चों की कोई पहचान नहीं,
मां जन्मदात्री तो पिता पालनहार हैं,
संघर्ष पिता का मैं भुला सकती नहीं,
मां धरती तो पिता आसमान हैं,
पिता जैसा संघर्षशील व्यक्ति मैंने कभी देखा नहीं,
क्या लिखूं पिता के बारे में…….।
-अनीता बोरा, अन्नू, निशोला
June 7, 2020
Excellent
June 8, 2020
love it