June 29, 2019 0Comment

काले मेघा काले मेघा काले मेघा आओ

मानसून आमंत्रण
—– गीत —–

काले मेघा काले मेघा काले मेघा आओ,
जलती धरती तपती धरती अबतो जल बरसाओ।
काले मेघा——-

उमड़ – घुमड़ कर बरस जाओ तुम
तृप्त धरा को कर जाओ तुम

सूखे तरूवर लतिका सूखीं अब तो दरस दिखाओ।
काले मेघा———-

सुन – सुन मानसून की बातें
खिल जातीं हम सब की बाँछें

दया करो हम सब पे हमरे मन के मोर नचाओ।
काले मेघा———

मोर न नाचे न दादुर बोले
धरती पर पड़ गये फफोले

सावन में आकर के तुम भादों के राग सुनाओ।
काले मेघा———–

नदियाँ सूखी नाले सूखे
खेत खलिहान खाऐ हिचकोले

अब तो दरस दिखा के माँ से मालपुऐ पकवाओ।
काले मेघा———-

बच्चों के अवकाश बीत गये
बिन पानी सब पोखर रीत गये

पड़ जाए न दुर्भिक्ष धरा को भिक्षा तो दे जाओ।

काले मेघा———

मोर किसान सब नभ को ताकें
बीते न दिन कटें न रातें

नदियों में भर करके जल कल कल का स्वर सुनवाओ।

काले मेघा———-

सूर्य तप्त और धूप हठीली
बिन चूल्हे पक जाए पतीली

बहुत उड़ लिए आसमान पर धरती से आँख मिलाओ।

काले मेघा काले मेघा पानी तो भर लाओ

काले मेघा——-

–सबाहत हुसैन ख़ान, rudrapur।

Social Share

gtripathi

Write a Reply or Comment