June 04, 2020 0Comment

एक पिता

अपनी हसरतों को वह दबाता रहा
सामने रहा और नज़रें चुराता रहा

हाल -ए- दिल किसी ने पूछा तो
सलीके से बहाने वह बनाता रहा

बड़ी मुश्किल से आह निकली होगी
अपने गम को ही वह गुनगुनाता रहा

बच्चों की ख्वाहिश है पूरी हो सके
बेचारा दिन रात मेहनत करता रहा

शायद आज बहुत थक सा गया है वह
आईना देखकर खुद को बुलाता रहा

बड़ा नाजुक दौर है आजकल नीरज
पिता बच्चों के लिए रोज मरता रहा

नीरज सिंह
टनकपुर चंपावत
उत्तराखंड

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gtripathi

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