-रमेशचन्द्र द्विवेदी, हल्द्वानी
(०१)
योग दिवस पर योग का, करें आज संकल्प।
रहें निरोगी हम सदा, मिलता नहीं विकल्प।।
(०२)
योग नहीं संयोग है, इसका करें प्रयोग ।
काया सबकी पुष्ट हो, मिट जाये सब रोग ।।
(०३)
रोज – रोज के योग से, काया हो मजबूत ।
रोग – दोष सब दूर हों, कहते हैं अवधूत ।।
(०४)
पूजा – जप- तप- पाठ से, आते पूत विचार ।
मिल जाये यदि योग तो,मिलती सिद्धी अपार ।।
(०५)
ऋषियों ने सबको दिया, महा – मंत्र वरदान ।
सेहत सबकी ठीक हो,यह उनका अवदान ।।
(०६)
नाड़ी शोधन नित करो, मिटता रक्त विकार ।
तन-मन की यह साधना,सुख का हो संचार ।।
(०७)
सूर्य – चंद्रमा नाड़ियाॅं, तन में करती वास ।
कुंडलिनी जागृत करें, अन्तर्मन की आस ।।
(०८)
आठ योग के अंग हैं, करें इसे स्वीकार ।
यम-नियम-आसन क्रिया,प्राणों का आधार ।।