June 25, 2021 0Comment

स्त्री


हमेशा मुस्कुराऊं ,
कोई खिलौना तो नहीं।
हमेशा प्यार से बोलूं ,
कोई कॉलर टोन तो नही।
कभी जिद न करूं,
बचपना अभी मरा तो नहीं।
हमेशा वक्त की पाबंद रहूं,
घड़ी का अलार्म तो नहीं।
कोई कमी न हो ,
मैं कोई खुदा तो नहीं।
तुमसे आकर शिकायतें करूं,
मैं तुमसे जुदा तो नहीं।
हमेशा सजी रहूं,
सजावटी सामान तो नहीं।
दया दृष्टि पर जी लूं,
मरा अभी स्वाभिमान तो नहीं।
कुछ भी सुन लूं।
खामोश दीवार तो नहीं ।
अपने मन का न करूं,
बेजान तो नहीं।
खुद को भूल जाऊं,
फालतू सामान तो नहीं।
सबके हिसाब से ढल जाऊं,
खोई मैने अपनी पहचान तो नहीं।

अर्चना

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gtripathi

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