-पूजा भट्ट
कली से फूल बन जाती है
जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है।
नदियों के तीव्र वेग में भी
जो, नौका अपनी पार लगाती है।
वो कोई और नहीं,
एक बेटी कहलाती है।
समाज में खुद को ऊंचा उठाती है
अंगारों में चलकर भी जिसको,
हार नहीं कभी भाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
शिद्दत से प्यार करती जो
हर वादे अपने निभाती है
पायल की छन -छन से जो
संगीत ,जगत को सुनाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
आसूं से भरने पर आंखें,
जो चुपचाप पी जाती है।
उठती, गिरती फिर भी हौसला नहीं खोती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
छोड़ अपना बसेरा जो,
एक नए घर जब आती है।
सबके दिल में प्रेम और उम्मीदों के दीप जलाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
जो ठान लेती वो करके दिखलाती है।
खुद पर विश्वास रख जो
अपने जीवन को रंगों से सजाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।।
September 26, 2022
Nice
September 28, 2022
बहुत सुंदर कविता , रचनात्मक व सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनाएँ…
September 29, 2022
BHUT SUNDAR
October 2, 2022
बहुत सुंदर कविता
ये हमारी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हमने डिजिटल क्रांति देश को दी जिससे ऐसी प्रतिभाएं आज देश को मिल रही है सरकार आपकी इन पंक्तियों को सुनहरे अक्षरों से लिखवाकर देश की ऐतिहासिक धरोहर में शामिल करेंगे
October 3, 2022
❤❤❤❤