September 26, 2022 5Comments

वो कोई और नहीं, एक बेटी कहलाती है

-पूजा भट्ट

कली से फूल बन जाती है
जब वो, यौवन की अंगड़ाई लेती है।
नदियों के तीव्र वेग में भी
जो, नौका अपनी पार लगाती है।
वो कोई और नहीं,
एक बेटी कहलाती है।
समाज में खुद को ऊंचा उठाती है
अंगारों में चलकर भी जिसको,
हार नहीं कभी भाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
शिद्दत से प्यार करती जो
हर वादे अपने निभाती है
पायल की छन -छन से जो
संगीत ,जगत को सुनाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
आसूं से भरने पर आंखें,
जो चुपचाप पी जाती है।
उठती, गिरती फिर भी हौसला नहीं खोती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
छोड़ अपना बसेरा जो,
एक नए घर जब आती है।
सबके दिल में प्रेम और उम्मीदों के दीप जलाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।
जो ठान लेती वो करके दिखलाती है।
खुद पर विश्वास रख जो
अपने जीवन को रंगों से सजाती है।
वो कोई और नहीं
एक बेटी कहलाती है।।

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gtripathi

5 comments

  1. Nice

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  2. बहुत सुंदर कविता , रचनात्मक व सुनहरे भविष्य के लिए शुभकामनाएँ…

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  3. BHUT SUNDAR

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  4. बहुत सुंदर कविता
    ये हमारी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि हमने डिजिटल क्रांति देश को दी जिससे ऐसी प्रतिभाएं आज देश को मिल रही है सरकार आपकी इन पंक्तियों को सुनहरे अक्षरों से लिखवाकर देश की ऐतिहासिक धरोहर में शामिल करेंगे

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  5. ❤❤❤❤

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