-उम्मेद सिंह बजेठा
वह नर नही ,नर पशु है,
और मृतक समान।
हिंदी राजभाषा लिपि,
देवनागरी का प्रावधान।
कर्ण प्रिय, मधुर सरल,
समझने मै आसान।
संस्कृत सब भाषाओं की जननी,
चेतना श्रोत तमिल तेलगु की संगिनी,
सूर कबीर,तुलसी मीरा ने,
प्रभु का किया सदा गुणगान,
जन जन तक पहुंचाकर,
अमर हुए रसखान।
शब्द कोष हिंदी भाषा का
विशाल भरपूर भंडार
रामचरितमानस,महाभारत से
अविभूत हुआ सकल संसार।
हिंदी भाषा ने चाची,बुआ,मामी,
को दी है प्रथक पहचान,
अंग्रेजी भाषा में इन सबको ,
आंटी कह लगा दिया विराम।
जीजा ,साला, नंद भौजाई,
ने रिश्तों की गरिमा बतलाई,
अंग्रेजी मै शब्द नही अलग,
ब्रदर इन ला ,सिस्टर इन ला कहलाई।
हिंदी भाषा मै मात्रा ,कौमा,
व्याकरण का रहता पूरा ध्यान,
अर्थ वाक्य का बदल जाता,
यदि बदल देते इनका स्थान।
भाषा एकता की धुरी,
इससे मिलता अपनत्व का पैगाम,
भाषा एक सूत्र सबको बांधे,
ऊंचा रहे भारत का नाम
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान
हमारा,
हिंदी है हम हिंदी है हम,
हिंदुस्तान हमारा।