शिक्षक एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में विराट कवि सम्मेलन का आयोजन
हल्द्वानी। हरफनमौला साहित्यिक संस्था की ओर से शिक्षक एवं हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में रामपुर रोड स्थित गंगू ढाबा मैरिज लॉन में रविवार को विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान कवियों ने जहां गुरू की महत्ता का बखान किया वहीं हिंदी का गुणगान भी किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि दून कॉन्वेंट स्कूल के प्रधानाचार्य कृष्णा जोशी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया। खटीमा से आए वरिष्ठ कवि राज सक्सेना ने हिंदी की प्रशंसा उर्दू में की-कहने को बहुत कुछ है हिंदी की लताफत में, हर दिल अजीज नेक जुबां, राज है हिंदी। हल्दूचौड़ से आए पूरन भट्ट ने कहा-प्रेम की इबादत शब्दों से उकेरी नहीं जाती, खुशबू फूल की जुबां से बिखेरी नहीं जाती। हल्द्वानी की डॉ. गीता मिश्रा गीत ने कहा-खिला था जो भारत के दक्षिण चमन में, थी सबसे निराली महक उस सुमन में। भारती के भाल पर भासित सुहानी बिंदी है, वह है निशानी हिंद की भाषा हमारी हिंदी है। शक्तिफार्म सितारगंज से आईं पुष्पा जोशी प्राकाम्य ने कहा-तीनों लोक सद्गुरू गुण गाते, गुरू महिमा की थाह न पाउं, सखी री मैं मतिमंद कहाउं। पंतनगर से आए केपी सिंह विकल ने कहा- जिस मिट्टी को सींचा खून पसीने से, उस मिट्टी से इक दिन सोना निकलेगा। सावित्री नेगी ने कहा-शिक्षक हमें ज्ञान की वह शिक्षा देते हैं, अ अनपढ़ से शुरू कर ज्ञ ज्ञानी तक पहुंचाते हैं। ललित भट्ट ने कहा-गुरू ज्ञान की बहती धार है, गुरू ज्ञान बिना मिटता नहीं अंधकार है। डॉ. प्रदीप उपाध्याय ने कुमाउंनी रचना प्रस्तुत की-बेइ नि आए आज आलै, कै बे आस ल्यै रई, तु आलै मुख दिखालै, त्यारा बाटै चै रई। विपुल जोशी ने कहा-परेशानियां कम होती हैं उनका मुकाबला करके लोग बढ़ा लेते हैं मगर हर एक से मशवरा करके। करन आर्या ने कहा-इस शहर में अब मुझे किसी से भी मोहब्बत नहीं, यहां अब कोई तुम जितना खूबसूरत नहीं। मनीष पांडेय आशिक ने सुनाया-तुमको सुनना भी है, तुमको पढ़ना भी है, अपने हर गति में, तुमको गढ़ना भी है।
हास्य कवि वेद प्रकाश अंकुर ने अपनी हास्य कविताओं के माध्यम से सबको लोटपोट कर दिया। रमेश चंद्र द्विवेदी ने भी सुंदर रचना पाठ किया।