Tag: woman poem

स्त्री

-रिपुदमन कौर, हल्द्वानी स्त्री सहनशील है। कभी उसका जी चाहा होगा सारी सहनशीलता को दरकिनार कर फट पढ़े ज्वालामुखी सा ताकि अंतरमन में उबलते लावे को उतनी ही सहजता से शांत कर सके जितनी सहजता से कर जाती है सब सहन स्त्री नाज़ुक है। मगर वो ताउम्र संभालती है स्त्रीत्व का बोझ कभी उसका जी […]

कैसा है ये कलयुग भगवन

-माही अधिकारी द पैंथियान स्कूल हल्द्वानी ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। जहां फटी जीन्स को फैशन कहते, ये साड़ी को पूछते नहीं। ये कैसा है कलयुग भगवन, कोई हमें बताओ जी। सुंदर प्रकृति इन्हें फोन में दिखती, कोई इन्हें असली प्रकृति को नजारों का एहसास दिलाओ जी। ये कैसा है कलयुग […]

उसने कैसे पाले बच्चे

-बीना फूलेरा, हल्द्वानी उसने कैसे पाले बच्चे ये मत पूछो उससे वो रो पड़ेगी फ़ूटकर खिड़की के दरवाजे से बाधे गए उस बच्चें के पैर बता देगी साड़ी में पड़ी गाठें वो बंद दरवाजे गवाही दे देंगे जिन्हें पीटा गया नन्हें हाथों से दीवारों से पूछों सुनाई देंगी अनगिनत अनसुनी आवाजें जो लगाई उस बच्चें […]

मृत्यु को मैं जी रही

-डॉ. शबाना अंसारी विरह में प्रियतम के संसार ही सुनसान है घुट घुट के जी रही विष ये भी पी रही तुम बिन मेरे प्रियतम मृत्यु को मैं जी रही सात वचनो में बंधी देह को तेरी किया धूल चरनो की तेरी मांग में अपनी भरा इससे जियादा किया करूं ये वचन कम तो नहीं […]

शक्ति का नाम ही नारी है

-कोमल भट्ट कोमल है, कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है… जीवन जग को देने वाली , मौत भी तुझसे हारी है | माना की मर्द ने किया बहुत कुछ पर तुझसे ही तो सब कुछ पाया है, जग- जननी का रूप है तू तू ही तो भगवान का साया है| कल्याणी है […]

नारी की परिभाषा

-डॉ. अंकिता चांदना शर्मा, हल्द्वानी सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, काली भी बन जाती है मनमोहिनी, चंचला, ममता की सरिता ये बहाती है। तोड़ के जब सारे बंधन, पंख ये फैलाती है। आसमान की ऊंची बुलंदियों को ये छू जाती है। इसकी वाणी में है कतार, जिसका कोई तोड़ नहीं नारी की शक्ति को ना ललकारो, इस […]

बंद करो दहेज प्रथा

-रेनुका आर्या बंद करो दहेजप्रथा, नारी का मत करो व्यापार, स्वयं जिसे कहते तुम लक्ष्मी, क्यों कर रहे फिर उसपर तुम अत्याचार | दौलत के तराजू पर तोल के, छीना तुमने उसका अधिकार, नारी बिन जीवन है सुना, थोड़ा तो करो विचार | कभी संगनी, कभी भगिनी बन, उसने लुटाया तुम पर प्यार, दौलत के […]

सृष्टि का सार है नारी

-ज्योति मेहता सृष्टि का सार है नारी । घर की पहचान है नारी। आंचल में छुपाती है नारी। दीवारों को घर बनाती है नारी। उठ भोर घर को मंदिर बनाती है नारी। अन्न को भोजन बनाती है नारी चकला बेलन का खेल खेलती है नारी। बंद कमरों में आंसू छुपाती है नारी धरती माता भी […]

करो सम्मान नारी का

-डॉ. गुंजन जोशी, हल्द्वानी, उत्तराखंड करो सम्मान नारी का, तो हो उद्घार देश का जन्मदाता है वीरों की, ये है आधार देश का।। एक नारी ही नारी को, संवार सकती है एक दूसरे का साथ बन,भव पार करती है। इस भूमि सी निश्छल है, सब पाप ढोती है फूल और काटों से शोभित, पावन धरती […]

स्त्री

हमेशा मुस्कुराऊं , कोई खिलौना तो नहीं। हमेशा प्यार से बोलूं , कोई कॉलर टोन तो नही। कभी जिद न करूं, बचपना अभी मरा तो नहीं। हमेशा वक्त की पाबंद रहूं, घड़ी का अलार्म तो नहीं। कोई कमी न हो , मैं कोई खुदा तो नहीं। तुमसे आकर शिकायतें करूं, मैं तुमसे जुदा तो नहीं। […]