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खग गीत गूंजे आकाश

-उर्वशी भट्ट,  बसंत विहार हल्द्वानी सुबह सलोनी आज की, रवि किरण अलग है आज। पवन पसारे पंख उड़े, खग गीत गूंजे आकाश।। पत्र सुर सम सारंगी , प्रेम सुगंध साजे संसार। बाल हिय हासैं लगे, है चित प्रफुल्लित आज।।

दिखी दुनिया सुहानी

सबकुछ नया शुरू सुंदर कहानी, आंखें खुलीं जब, दिखी दुनिया सुहानी। बड़ी हिफाजत से मुझको उठाया, माथा चूम सीने से लगाया, पहला कदम जो मैंने उठाया, पीछे सहारा बन गिरने से बचाया। पैडल पर मैंने हां धक्का खुद था मारा, जब भी गिरी मैं, खुद उठना है सिखाया। रूकावट से नहीं डरना, खुद करनी है […]