-ज्योत्सना कलखुड़िया, टनकपुर सपना छिपा हुआ अंकुर है नव विचार का फूल खिला नई इमारत गढनी हो तो सपना है आधार शिला बिना विचारों के मंथन के गाथा सभी अधूरी है गर विकास की बात करें तो सपना बहुत जरूरी है
-ज्योत्सना कलखुड़िया, टनकपुर सपना छिपा हुआ अंकुर है नव विचार का फूल खिला नई इमारत गढनी हो तो सपना है आधार शिला बिना विचारों के मंथन के गाथा सभी अधूरी है गर विकास की बात करें तो सपना बहुत जरूरी है
हर कोई मां के बारे में लिखता है, आज पापा आपके बारे में लिखना है। मां की छाया में आपका जिक्र नहीं होता, पर हर काम ऐसा जो आपके बिना न होता। भरी धूप, धूल, मिट्टी में अपना तन जलाया आपका बच्चों पर हमेशा रहा साया। पिता ही है ऐसा भगवान। आज बताता हूं इनके […]
अपनी हसरतों को वह दबाता रहा सामने रहा और नज़रें चुराता रहा हाल -ए- दिल किसी ने पूछा तो सलीके से बहाने वह बनाता रहा बड़ी मुश्किल से आह निकली होगी अपने गम को ही वह गुनगुनाता रहा बच्चों की ख्वाहिश है पूरी हो सके बेचारा दिन रात मेहनत करता रहा शायद आज बहुत थक […]