Tag: suyash kumar dwevedi

संग तुम्हारे मैं गिरता संभलता रहा

छाँव में ही तुम्हारी, मैं पलता रहा थामे अँगुली तुम्हारी,मैं चलता रहा कैसी हो मुश्किलें मैं तो बढ़ता रहा संग तुम्हारे मैं गिरता संभलता रहा मेरे खुशियों की तुम ही वज़ह हो, जहान हो, जहान हो,जहान हो मेरे पापा तुम मेरी जहान हो; जब भी तन्हा था मैं, तुम मेरे साथ थे मेरे माथे पे […]

“वर्षा कितनी मनभावन है”

वर्षा कितनी मनभावन है, वर्षा कितनी मनभावन है, हर बूंद है अमृत से परिपूर्ण, हर बूंद है जीवन का प्रतीक, हर कष्ट को करती हमसे दूर, हर मन को करती यह विभोर; यह कितनी शीतल,पावन है! वर्षा कितनी मनभावन है, कृषकों का जीवन यह ऋतु है, यह जीवन है, यह अमृत है, सौंदर्य की प्रतिमूर्ति […]